वो क्रिसमस का पेड़ है।
वो भी इंसानों की तरह अपने प्रतिरूप तैयार करता है।
पर क्या है न, वो अपने बच्चों को बता देता है, कि उनका धर्म ईसाई है।
और हम अपने बच्चों को बताते है तुम्हारा धर्म ईसाई नहीं है, फिर भी मिशनरीज में पढ़ाने भेज देते है।
और लाखों रूपये फीस आहें भरते हुए देते है।
मेरे माता पिता क्रिसमस नहीं मनाते थे। हम लोग भी नहीं मनाते है।पर आज जिस तरह चारों ओर उल्लास के साथ क्रिसमस मनाते हुए लोग दिखते है, जरा सोचा क्यों?
मत भेजिये अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ने या मिशनरीज में पढ़ने। क्योंकि वो ईसाई मानसिकता की फसल उगाते है।
बच्चों को सही गलत या धर्म का अंतर नही पता होता।
उन्हें आपने जिस स्कूल में पढ़ने भेजा वहां की हर एक बात उनके लिये अंतिम सत्य है।
मेरी बहन की बेटी अपने पहले जन्मदिन पर मिशनरी हॉस्पिटल में एडमिट थी।हमने उसके जन्मदिन पर भगवान को लड्डू चढ़ाये और हॉस्पिटल स्टाफ में बांटने चाहे। क्रिश्चयन नर्सेस ने लेने से मना कर दिया। भावहीन चेहरे के साथ उन्होंने साफ कह दिया हम लोग ये प्रसाद नही ले सकते।
वो प्रसाद तक नही ले सकते।और हम इतने सहिष्णु है कि उनका त्योहार भी उल्लास से मना रहे हैं अपने बच्चों की खुशी के लिये।क्रिसमस धर्म से परे बच्चों के लिये एक उत्सव है। सांता कैप पहन के घूमना और रात में सांता के सरप्राइज गिफ्ट का इंतज़ार करना।वो किसी और चश्मे से देख ही नही सकते।
ये हमारा ही दोगलापन है, एक तरफ अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में पढ़ने भेजेंगे और दूसरी तरफ फ़ेसबुक पर होहल्ला करेगें क्रिसमस हमारा त्योहार नही है।
Twinkle Tomar
वो भी इंसानों की तरह अपने प्रतिरूप तैयार करता है।
पर क्या है न, वो अपने बच्चों को बता देता है, कि उनका धर्म ईसाई है।
और हम अपने बच्चों को बताते है तुम्हारा धर्म ईसाई नहीं है, फिर भी मिशनरीज में पढ़ाने भेज देते है।
और लाखों रूपये फीस आहें भरते हुए देते है।
मेरे माता पिता क्रिसमस नहीं मनाते थे। हम लोग भी नहीं मनाते है।पर आज जिस तरह चारों ओर उल्लास के साथ क्रिसमस मनाते हुए लोग दिखते है, जरा सोचा क्यों?
मत भेजिये अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ने या मिशनरीज में पढ़ने। क्योंकि वो ईसाई मानसिकता की फसल उगाते है।
बच्चों को सही गलत या धर्म का अंतर नही पता होता।
उन्हें आपने जिस स्कूल में पढ़ने भेजा वहां की हर एक बात उनके लिये अंतिम सत्य है।
मेरी बहन की बेटी अपने पहले जन्मदिन पर मिशनरी हॉस्पिटल में एडमिट थी।हमने उसके जन्मदिन पर भगवान को लड्डू चढ़ाये और हॉस्पिटल स्टाफ में बांटने चाहे। क्रिश्चयन नर्सेस ने लेने से मना कर दिया। भावहीन चेहरे के साथ उन्होंने साफ कह दिया हम लोग ये प्रसाद नही ले सकते।
वो प्रसाद तक नही ले सकते।और हम इतने सहिष्णु है कि उनका त्योहार भी उल्लास से मना रहे हैं अपने बच्चों की खुशी के लिये।क्रिसमस धर्म से परे बच्चों के लिये एक उत्सव है। सांता कैप पहन के घूमना और रात में सांता के सरप्राइज गिफ्ट का इंतज़ार करना।वो किसी और चश्मे से देख ही नही सकते।
ये हमारा ही दोगलापन है, एक तरफ अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में पढ़ने भेजेंगे और दूसरी तरफ फ़ेसबुक पर होहल्ला करेगें क्रिसमस हमारा त्योहार नही है।
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