Saturday 4 August 2018

वो शाम कुछ अजीब थी

गीत के उदास बोल और एक अजब सी कसमसाहट लिये हुए धुन। अपने में बहा ले जाती हुई ये धुन किसी ख़लिश के कोने में ले जाकर अकेला छोड़ दे...

और उस पर भी ज़ुल्म ये कि गीत किशोर कुमार की दिलकश आवाज़ में हो, तो गीत आत्मा में जाकर ठहर जाता है । मन में किशोर जी की रीती रीती आवाज़ कुछ देर के लिये बस जाती है। यूँ लगता है जैसे कहीं से टकराकर अपने ही दर्द की प्रतिध्वनि आ रही हो।

उनकी रुमानियत भरी , रूहानी, कशिश में डूबी आवाज़ आपको किसी और जहान में ले जाती है, और काफ़ी देर तक उस अहसास से निकलने नही देती....

हां वो कल भी पास पास थे, वो आज भी करीब है,
हर अजीब शाम की ख़लिश में साथ निभाने के लिये।



"दबी-दबी हँसी में इक हसीन सा गुलाल था....

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है"

Happy Birthday Kishor Da ❤


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