Tuesday, 17 September 2019

आँखों का आलस्य


पुरानी
बहुत पुरानी
तहा कर रखी गयी
मृतप्राय हो चली
सड़ी-गली,बासी
चुभीली, नुकीली
कष्ट देने वाली
हर प्रकार की
स्मृतियों को सहेज
कर रखते हैं हम
आह को जिह्वा की
नाल से कीलित कर

वेदना की प्याली से
अश्रु का न छलकना
आँखों का आलस्य है
या मन का रीत जाना !

©® टि्वंकल तोमर सिंह

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