"अरे बाबा ये लास्ट मेट्रो थी।आप चढ़े नहीं इसमें।"गार्ड ने पूछा।तेज़ बारिश में छाता थामे एक बुजुर्ग आये थे जो प्लेटफॉर्म को विदा कहती मेट्रो-ट्रेन की ओर नम आँखों से ताक रहे थे।
मेट्रो जाने के बाद बाबा धीरे धीरे कदम रखते हुये स्टेशन के बाहर जाने लगे।उनके चेहरे पर आत्मसंतोष के भाव थे।
अचानक स्टेशन के बाहर पैर रखते ही कई मीडियावालों ने उन्हें घेर लिया।"रामप्यारे जी आपको कैसा लग रहा है,आप जिंदगी भर रेलवे-स्टेशन पर सफाईकर्मी रहे और आज आपकी बेटी मेट्रो में ड्राइवर है?"कई माइक उनकी ओर तने हुये थे।
"गर्व है।"धीरे से उन्होंने कहा।
©® Twinkle Tomar Singh
 
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