सबसे निम्नतम स्तर का संघर्ष होता है अपने आप को स्वस्थ रखने की जद्दोजहद।
किसी और व्यक्ति के साथ, सराहना, सहारे की क्या आशा रखना, जब तुम्हारा अपना शरीर ही साथ न दे रहा हो।
इससे बुरा वक़्त जीवन में और क्या होगा जब आप के शरीर में ऊर्जा का स्तर निम्नतम हो जाये। चाहे शारीरिक बीमारी के कारण, चाहे मानसिक बीमारी के कारण। और आप अपने तन और तदानुसार मन से एक तगड़ी लड़ाई लड़ रहे हों।
सही ऊर्जा के विद्युत् से ही सब कुछ सधा रहता है घर, परिवार, मित्र,रिश्तेदार, नौकरी, संगी- साथी, अधिकारी सब। ये ऊर्जा है आपके पास तो आप दाता बने रहते हैं - 'डोनर'। जब आपके जीवन के प्याले से ये रस रिस जायेगा, तो आप किसे कुछ दे पायेंगे?
आपसे भूल होगी, चूक होगी, कर्तव्य निर्वाह नही हो पायेगा। आप डोनर नहीं रहेंगे तो एक एक करके सब कन्नी काट जायेंगे। जो अपना ध्यान रखने के लिये ही संघर्षशील है वो दूसरे का ध्यान भला कैसे रख पायेगा ? पर इस बात को कोई समझेगा नहीं।
याद रखिये, ज़िन्दगी में आरक्षण नहीं मिलता। कहीं भी किसी बिंदु पर। आप स्वस्थ है, ऊर्जावान है, सफल है तभी आपकी जय जयकार है। आप लंबे समय के लिये अस्वस्थ हुये तो लोगों के लिये आप झेलाऊ हो जायेंगे। आप जीवन में असफल हुये तो वो सब जो आपके पक्ष में थे, आपसे प्यार करते थे, जाने अनजाने आपको कोसने लगेंगे ।
सब बर्दाश्त कर लेना। बस एक बात दोहराते रहना - " कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं होता, वो भी नही जो तुम्हारा दिल दुखा दे, वो भी नहीं जो साथ छोड़कर चला गया। बुरा सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा वक़्त होता है।"
~ Twinkle Tomar Singh
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