Saturday, 6 February 2021

अकर्मण्य

कुछ हाथ 
अकर्मण्य भटकते रहते है
लकीरों की बंद वीथिकाओं में

कुछ अवसरों के 
भाग्य में लिखा होता है
द्वार खटखटा कर प्रतीक्षा करते रहना

~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

No comments:

Post a Comment

रेत के घर

दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर  माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...