Monday, 11 September 2017

अथातो बैरी जिज्ञासा

अथातो बैरी जिज्ञासा
कुछ लोग चलता फिरता प्रश्रचिन्ह होते है। इन्हें अपनी निजी जिंदगी से कम आपकी निजी जिंदगी से ज्यादा प्रेम होता है। जब तक ये लोग आपके घर की झाड़ू में कितनी सींकें है , ये तक न पता लगा ले इन्हें चैन नही आता।

इनके शिकार अंतर्मुखी लोग, शर्मीले व्यक्तित्व वाले लोग, शालीन लोग, हद से ज्यादा संस्कारी लोग बनते है। क्योंकि जैसे लखनवी तहजीब में हर किसी से आदर से बात करना शामिल होता है, वैसे ही उपरोक्त गुणों वाले लोग उनकी बातों का प्रतिकार नही कर पाते। और उन्हें लगता है जो प्रश्न उनकी ओर उछाला गया है ,उसका जवाब देना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। वो बदतमीज़ी से जवाब नही दे पाते कि अपने काम से काम रखिये।

इसका फ़ायदा ये क्वेश्चन बॉक्स माइंड वाले लोग भरपूर उठाते है। जैसे मोदी जी अपने हर action के लिए  केजरीवाल के प्रति जवाबदेह हैं, उसी प्रकार इन्हें लगता है कि इनके आस पास जो भी व्यक्ति है , वो इनके प्रति जवाबदेह है।

वो कहाँ जाता है, क्या करता है, वो किसके साथ आता है , किसके साथ जाता है, उसने आज घर मे क्या सब्जी खायी, उसके घर मे कामवाली कितना पैसा लेती है,उसके लड़के का किसके साथ अफेयर चल रहा है, उसके पति की कितनी कमाई है, किसकी लड़की की शादी तय हो रही है, सब इन्हें पता होना चाहिए। ये सब चीजें आपको लगता होगा कि पर्सनल हैं। पर इनकी चाणक्य बुद्धि कहती है कि सबका साथ सबका विकास तभी संभव है, जब ये सारी जानकारी आसपास की जनता को भी पता हो। या कम से कम इन्हें तो अवश्य पता हो।और अगर इन्हें पता न चले तो ये अजीब सी बेचैनी के शिकार होने लगते है। इनका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।इन्हें लगता है कि लोग इनके हितैषी स्वभाव को गलत समझ रहे हैं।

यहां तक कि मनमाफिक उत्तर न मिलने पर या जिज्ञासा का समाधान न होने पर ये लोग मुंह फुला कर ऐसे बैठ जाते है जैसे शरबरी ने मीठे बेर खाने के लिए भगवान राम के सामने रखे थे, और उन्होंने खाने से इनकार कर दिया।

जब ये अपनी जिज्ञासा का समाधान प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति विशेष से नही कर पाते, तो ये तुरंत जग्गा जासूस का अवतार ले लेते हैं। और व्यक्ति विशेष से जुड़े हुए लोगों से प्रश्न पूछ पूछ कर उन्हें परेशान कर देते है। इनकी हालत उस नशेड़ी की तरह हो जाती है, जिसे अफीम न मिले तो वो बौराने लगता है।

ऐसे में  उस तीसरे व्यक्ति की स्थिति कितनी खराब हो जाती है, उससे इन्हें कोई मतलब नही। अगर वो उनकी जिज्ञासा का समाधान कर दे तो अच्छा ,नही तो बुरा।
" तुम्हे पता जरूर होगा, तुम बता नही रहे हो," जैसे रॉकेटनुमा जुमलों को झेलता हुए वो व्यक्ति सोचता है, न बताऊं तो ये नाराज़, बता दूं तो मेरा मित्र नाराज़, चुप रहूं तो मैं डिप्लोमैट।

जिस प्रकार क्रिकेट में दो तरह के attitude का खेल में पालन किया जाता है - attack या defence। उसी प्रकार ये सालों से सवाल जवाब का खेल खेलते खेलते इतना मंझ जाते हैं, कि हमेशा अटैक की मुद्रा में रहते हैं।ये हमेशा गेंद आपके पाले में फेंक देंगे , अब आप दाँव सोचते रहिये।

ऐसी बहुमुखी प्रतिभा के धनी , मस्तक पर प्रश्नचिन्ह का तिलक लगाए लोग आपको अपने आस पास ही मिल जायेंगे। जरा नज़र डाल के देखिए तो। कभी पड़ोस की पंचायती बुआ के रूप में, कभी किसी मित्र के रूप में,कभी किसी कॉलीग या सीनियर के रूप में और रिश्तेदारों में तो कोई न कोई बस इसी महान काम के लिए धरती  पर अवतरण ही लेता है।
ईश्वर आपकी उनसे रक्षा करे !
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2 comments:

  1. और तो और इन लोगो को ये भी पता करना होता है की आपकी टीवी पर कितने चैनल चलते है 😂

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