भाई वो होता है
जिसे एक बहन हमेशा बचपन में नापसंद करती है
क्योंकि वो उसके लिये एक कॉम्पिटिशन होता है। उसे लगता है कि माता पिता का प्यार उसे ज्यादा मिलता है। शैतानी भाई ज्यादा करता है पर क्योंकि बहन को साथ रखता है तो मार / डांट दोनों को बराबर झेलनी होती है। वो जरा जरा सी लड़ाई में बाल खींचने वाला और मारपीट करने वाला प्राणी भी होता है।
पर जैसे जैसे समय बीतता है भाई एक मजबूत सहारे की जगह ले लेता है।
मम्मी पापा से छुपा के कितने काम करने होते है। जिनमें भाई बराबर से साथ देता है। चाहे वो कॉमिक्स मंगाना हो, या चटर पटर खाने की कोई चीज़ या कोई सीक्रेट गेम्स खेलना हो जिसमें मम्मी की रसोई या पापा के टूल बॉक्स में रखी चीज़ों का बर्बाद होना तय है।
बहन को कोई नई डिश बनाने में हाथ आजमाना होगा, तो भाई को ही दस बार बाज़ार दौड़ाया जायेगा। क्योंकि बहन कोई गृहस्थन तो है नही जो उसे एक बार में सब याद आ जाये कि इस पकवान की रेसिपी में क्या क्या पड़ेगा।
पढ़ाई में मन लगे न लगे ,पर कॉपी, किताब, नोट्स के लिये 2 किलोमीटर दूरी पर रहने वाली अपनी सहेली के घर बार बार दौड़ा कर भाई को ही भेजा जाता है। अब ये अलग बात है कोई भाई ये काम खुशी से करता है, कोई नही। क्यों ?...ये कोई बताने वाली बात नही है, समझने वाली बात है।
बहन को स्कूटी चलाना सिखाने वाला भाई ही होता है। बिना इसकी परवाह किये कि कितनी बार इस सीखने सिखाने के चक्कर में दोनों गिरेगें। और चोट भी भाई को ही ज्यादा लगेगी क्योंकि पैर से स्कूटी रोक कर आखिरी क्षण तक बहन को बचाने का दारोमदार भाई पर ही है।
शादी के वक़्त वो भाई ही होता है जिसे देखकर कहा ही नही जा सकता कि उसका जन्म भी किसी की शादी में कोट पहन के घूमने के लिये हुआ है। बहन की शादी में उसे इतना दौड़ना पड़ता है कि वो दो दिन से पहना हुआ कुर्ता भी नही बदल पाता। उस दिन वो भाई कम मजदूर ज्यादा लगता है।
बहन को सलाह और काउन्सलिंग की जरूरत हो तो भाई हमेशा फ्री में काउन्सलिंग कर देता है, वो भी पूरे सम्मान के साथ। यही भाई विकास के अंतिम चरण में मामा के रूप में परिणत हो जाता है और ज़्यादा जिम्मेदार व विनीत हो जाता है।
हर वो बहन खुशनसीब है जिसे ऐसा भाई मिला है, मैं उनमें से एक हूँ।
Twinkle Tomar Singh ❤
जिसे एक बहन हमेशा बचपन में नापसंद करती है
क्योंकि वो उसके लिये एक कॉम्पिटिशन होता है। उसे लगता है कि माता पिता का प्यार उसे ज्यादा मिलता है। शैतानी भाई ज्यादा करता है पर क्योंकि बहन को साथ रखता है तो मार / डांट दोनों को बराबर झेलनी होती है। वो जरा जरा सी लड़ाई में बाल खींचने वाला और मारपीट करने वाला प्राणी भी होता है।
पर जैसे जैसे समय बीतता है भाई एक मजबूत सहारे की जगह ले लेता है।
मम्मी पापा से छुपा के कितने काम करने होते है। जिनमें भाई बराबर से साथ देता है। चाहे वो कॉमिक्स मंगाना हो, या चटर पटर खाने की कोई चीज़ या कोई सीक्रेट गेम्स खेलना हो जिसमें मम्मी की रसोई या पापा के टूल बॉक्स में रखी चीज़ों का बर्बाद होना तय है।
बहन को कोई नई डिश बनाने में हाथ आजमाना होगा, तो भाई को ही दस बार बाज़ार दौड़ाया जायेगा। क्योंकि बहन कोई गृहस्थन तो है नही जो उसे एक बार में सब याद आ जाये कि इस पकवान की रेसिपी में क्या क्या पड़ेगा।
पढ़ाई में मन लगे न लगे ,पर कॉपी, किताब, नोट्स के लिये 2 किलोमीटर दूरी पर रहने वाली अपनी सहेली के घर बार बार दौड़ा कर भाई को ही भेजा जाता है। अब ये अलग बात है कोई भाई ये काम खुशी से करता है, कोई नही। क्यों ?...ये कोई बताने वाली बात नही है, समझने वाली बात है।
बहन को स्कूटी चलाना सिखाने वाला भाई ही होता है। बिना इसकी परवाह किये कि कितनी बार इस सीखने सिखाने के चक्कर में दोनों गिरेगें। और चोट भी भाई को ही ज्यादा लगेगी क्योंकि पैर से स्कूटी रोक कर आखिरी क्षण तक बहन को बचाने का दारोमदार भाई पर ही है।
शादी के वक़्त वो भाई ही होता है जिसे देखकर कहा ही नही जा सकता कि उसका जन्म भी किसी की शादी में कोट पहन के घूमने के लिये हुआ है। बहन की शादी में उसे इतना दौड़ना पड़ता है कि वो दो दिन से पहना हुआ कुर्ता भी नही बदल पाता। उस दिन वो भाई कम मजदूर ज्यादा लगता है।
बहन को सलाह और काउन्सलिंग की जरूरत हो तो भाई हमेशा फ्री में काउन्सलिंग कर देता है, वो भी पूरे सम्मान के साथ। यही भाई विकास के अंतिम चरण में मामा के रूप में परिणत हो जाता है और ज़्यादा जिम्मेदार व विनीत हो जाता है।
हर वो बहन खुशनसीब है जिसे ऐसा भाई मिला है, मैं उनमें से एक हूँ।
Twinkle Tomar Singh ❤
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