"हरिया, ये क्रिसमस क्या होता है? सोनल दीदी कह रही थी रात को सांता आता है और उनके लिये गिफ़्ट छोड़ जाता है।" छुटकी अपनी मड़ैया के बाहर एक टूटी फूटी गुड़िया से खेल रही थी। उसका बड़ा भाई बगल में बैठा गुड़ रोटी खा रहा था।
"शायद बड़े लोगों का कोई त्योहार होता है। तभी तो आज जब अम्मा के साथ हम गये थे तो देखा था कि बड़ी मालकिन केक मंगा रही थी।" हरिया ने उत्तर दिया।"
" हाँ हमने भी देखा है सोनल दीदी अपने लिये लाल और सफेद रंग की टोपी ले कर आई थीं।" छुटकी ने देखा था सोनल दीदी लाल-सफेद टोपी लगाकर शीशे के सामने ख़ुद को निहार रहीं थीं।
" और जानती हो एक क्रिसमस का पेड़ भी होता है। उसको भी सजाया जाता है। हमने देखा था पिछले साल भी सोनल दीदी के कमरे में।" हरिया ने कहा।
"हमारे घर सांता नहीं आएगा? " छुटकी ने मायूस होते हुये पूछा।
"पगली, सांता उन बच्चों के पास आता है जो मम्मी पापा से अलग अकेले सोते हैं। उनकी तकिया के नीचे सांता गिफ़्ट रख जाता है। देखा नही है कि सोनल दीदी बेचारी अलग कमरे में सोती हैं न साल भर। बस उसी का इनाम देने आता है सांता।" हरिया ने अपनी बुद्धि लगाई और ये निष्कर्ष निकाला।
" अच्छा.....तब तो ठीक है। हमको तो अम्मा से चिपक कर सोना ही अच्छा लगता है। हमको नहीं चाहिये कोई सांता वांता का गिफ़्ट।" छुटकी ने संतुष्ट होते हुये कहा और फिर से अपनी गुड़िया के साथ खेल में लग गयी।
©® टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
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