विषाद के
किसी एकाकी पल में
निकला एक शब्द
पूरी व्यथा को समेटे
एक उपन्यास होता है..
'आह'...के करोङों संस्करण हैं
शोक... टीका एक भी नहीं !!
~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...
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