Thursday, 11 March 2021

राजदूत

तरंगी मदालस मधुप को दूत बनाया
जड़-वृक्ष में बन्धनबद्ध पुष्पों ने परागण पाया
शशि,क्या तुम न होगे संदेशवाहक मेरे
अभिशापित चातक ने हर रात्रि दोहराया
अलकापुरी जाते हो मेघ,संग दूतकार्य कर आना
विरही यक्ष ने प्रेयसी को आषाढ़ी संदेश भिजवाया
हृदयेश्वर वल्लभ तक पाती,भला कैसे जा पाती
गोपियों ने बृहस्पत-शिष्य उद्धव को डाकिया बनाया
ओ नन्दी,रे राजदूत, मुझ विरहिणी,उत्कट अभिसारिका ने
तेरे पृथु कर्णों में ह्रस्व निवेदन अर्पित किया था कभी
क्या तुमने अब तक 'पाशविमोचन' तक नहीं पहुँचाया? 

~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

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