1
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प्रेम अग्नि है
जिन्होंने कभी टूटकर
प्रेम नहीं किया
वो कभी नहीं जान पायेंगे
कितनी पवित्र है ये अग्नि
दीये की लौ सरीखी!
2
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प्रेम
सोते हुए शिशु के
अधर पर रखी
निर्बोध, निष्पाप स्मित है।
संसार को दिखता है मंदहास
अनुरागी मन को प्रिय के स्वप्न!
3
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तरुणाई में
हर इक रोम के तले
फूटतीं हैं कोपलें,
प्रेम का बीज
हृदय की माटी में
जब है कुलबुलाता !
4
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प्रेम-बीज
हृदय में बो कर
प्रेमी कृषक
प्रतीक्षा करता है
प्रीत-इंद्राणी के
नेह-मेघ बरसाने की!
5
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दूर देश में
बसने वाले प्रेमियों की
प्रेयसियों को
अलिंगन की कमी
नहीं खलती..
प्रेम के वलय
उनको उष्ण रखते हैं!
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~ टि्वंकल तोमर सिंह