Wednesday 5 October 2022

द्वार

1.
नौ द्वारों के मध्य 
प्रतीक्षारत एक पंछी
किस द्वार से आगमन
किस द्वार से निर्गमन
नहीं पता

2.
कहते हैं संयोग
एक बार ठक-ठक करता है
फिर मुड़ कर नहीं देखता
द्वार खुला कि नहीं
दैवयोग आया 
कुन्ती को मिले वरदान की तरह
जीवन कर्ण का भाग्यरेख बन गया
प्रयोग का उपयोग 
क्या होगा
नहीं पता

3.
ये तो तय है
द्वार खटखटाहट के लिये बने हैं
खुले रखने के लिये नहीं
यदि किसी द्वार के पल्ले खुले रहें
तो समझो
जिस ठक-ठक की प्रतीक्षा थी
वह आयी ही नहीं
हृदय पर कितनी
धक-धक हुई
नहीं पता

~टि्वंकल तोमर सिंह


द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...