Friday 17 July 2020

दावानल

जिन्हें चाहिए क्रांति का दावानल
उनके हिस्से आएंगे तिनके और पत्थर
वो आग जलाएंगे
और पत्थर भीतर रख लेंगे पल पल

जिन्हें नहीं कुछ विशेष अग्नि की चाह
उन्हें भी मिलेंगे तिनके और पत्थर
वो पत्थर पूजेंगे
और तिनके चूल्हे में जलाएंगे सकल

यही दावानल बढ़ने पर कहेंगे
आह...कितना पक्षपात है संसार में !

~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 


Thursday 16 July 2020

हस्ताक्षर

मैं जानती हूँ
तुम्हारे प्रेम में विवश होकर
मेरी कोई प्रगति नहीं होगी
मैं एक बिन्दु पर 
अटक कर रह जाऊँगी

उस बिन्दु से निकलेगीं
असंख्य रेखायें
उन रेखाओं पर टाँग दूँगी मैं
प्रेम में पगे शब्द
बन जायेगीं कवितायें

ये कवितायें ही बन जायेंगी
सर्वजनीन प्रेम के लिये
विधाता द्वारा प्रस्तावित
अनुबंध के नीचे
मेरे हस्ताक्षर !

टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

Tuesday 14 July 2020

प्रेम की चौपड़



छल ढूँढता है

अपने से निर्बल

धोखाधड़ी के लिए

पर प्रेम में उससे 

सशक्त रहकर भी

तुम छल ली जाओगी

स्त्रियाँ जुआ खेलती हैं

प्रेम की चौपड़ पर

सोने की मुहरों को

मिट्टी करने को !!


~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

चित्र : साभार गूगल

Tuesday 7 July 2020

खंडित

कुचली हो किसी बालक ने
पैरों तले खेल खेल में बाँसुरी
कितनी भी रही हो मीठी, तान गुम हो जाती है

एक फटे कागज़ का टुकड़ा
हवा के इशारे पर रहता है उड़ता
कितना भी भटक ले,मुड़ कर जहाज नहीं बन पाता है

चटके दीये से सोख लेता है तेल
अंधा आधार प्यासा बन,लेता है बदला
कितनी भी प्रखर हो लौ, प्रकाश मृत हो जाता है

फटें होठों से रिसती हैं पपड़ियाँ
रागों में पड़ जाती हैं विराग की दरार 
कितना भी हो सुरीला,कण्ठ कूकना भूल जाता है 


टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

चित्र साभार: pintrest

Saturday 4 July 2020

मुक़म्मल इश्क़

मुक़म्मल इश्क़ बेहद पाकीज़ा होता है,
आधी तबियत वालों की पेशानी नहीं चूमता ! 

टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

चित्र : साभार pintrest 


द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...