Monday 14 February 2022

प्रेम पर क्षणिकाएँ

1
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प्रेम अग्नि है

जिन्होंने कभी टूटकर
प्रेम नहीं किया
वो कभी नहीं जान पायेंगे
कितनी पवित्र है ये अग्नि 
दीये की लौ सरीखी!


2
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प्रेम 
सोते हुए शिशु के 
अधर पर रखी
निर्बोध, निष्पाप स्मित है।
संसार को दिखता है मंदहास 
अनुरागी मन को प्रिय के स्वप्न! 

3
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तरुणाई में 
हर इक रोम के तले
फूटतीं हैं कोपलें, 
प्रेम का बीज
हृदय की माटी में 
जब है कुलबुलाता !


4
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प्रेम-बीज 
हृदय में बो कर 
प्रेमी कृषक
प्रतीक्षा करता है 
प्रीत-इंद्राणी के 
नेह-मेघ बरसाने की! 

5
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दूर देश में 
बसने वाले प्रेमियों की
प्रेयसियों को
अलिंगन की कमी 
नहीं खलती..

प्रेम के वलय 
उनको उष्ण रखते हैं! 
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~ टि्वंकल तोमर सिंह

द्वार

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