Monday 28 January 2019

मणिकर्णिका

#मणिकर्णिका

जब मणिकर्णिका के संवादों पर हॉल में तालियाँ गूंजती है, तो न मालूम क्यों लगता है हम एक हैं। आखिर मेरे दिल में भी वही भाव उठ रहे हैं जो दूसरों के दिल में उठ रहे हैं।

शायद लक्ष्मीबाई पर बनी ये पहली फ़िल्म है जो हम सब देख रहे हैं। रोज़ हम अपनी ज़िन्दगी में इतने व्यस्त हैं कि वाकई 15 अगस्त और 26 जनवरी को छोड़कर बाकी दिनों देशभक्ति हममें सोती रहती है। क़िताबों में कोर्स की तरह पढ़ी गयी शौर्यगाथायें दिमाग़ में अंकित तो है, पर उन्हें शिद्दत से महसूस करने के मौके कम ही आये।

मणिकर्णिका भी बस इसीलिए देखनी चाहिये।एक पितृसत्तात्मक समाज में झांसी की बागडोर एक रानी के हाथ में आज कहानी के रूप में देखना सहज लग रहा है पर उस समय बिल्कुल भी नही रहा होगा। उस पर अंग्रेज़ो से जूझना वाक़ई मुश्किल रहा होगा।

मणिकर्णिका इसलिये भी देखना कि एक संतान विहीन विधवा को समाज ज़्यादा सम्मान की दृष्टि से नही देखता। न तब न अब। फिर वो चाहे शाही परिवार की ही क्यों न हो। ऐसे में किस प्रकार रानी लक्ष्मीबाई ने शासन सत्ता हाथ में ली होगी और सबको अपने पक्ष में किया होगा ?

मणिकर्णिका इसलिये भी देखनी चाहिये और अपने बच्चों को दिखानी चाहिये कि बस हम इतना ही पढ़ कर न रह जायें कि झांसी के किले से रानी अपने दत्तक पुत्र को पीठ पर बांध कर कूदी, वहां से कालपी पहुंची, फिर ग्वालियर पहुंचकर उसने सेना का संगठन किया। उन्होंने ये सब वास्तव में कैसे किया होगा।

मणिकर्णिका इसलिये भी देखना चाहिये कि अंत में जब रानी लक्ष्मीबाई आत्मसमर्पण न करके स्वयं को अग्नि के हवाले कर देती है कि अंग्रेज उसका सर काट कर झांसी के किले में लटका न सकें ,तो आपको उनके साथ सहानुभूति होती है, पर गर्व भी होता है।

मणिकर्णिका इसलिये भी देखना कि उस जमाने की रानी ने पुरुषों से लोहा लिया तो इस दौर में क्वीन कंगना ने भी पुरुष समाज के आगे घुटने नही टेके। जब लगभग आधा बॉलीवुड उसके ख़िलाफ़ है,उसने अपने पर विश्वास नही खोया, खुल कर बोला बिना डरे, और अपनी अभिनय क्षमता का एक बार फिर से लोहा मनवाया है।

प्रशिक्षण से निखरी तलवारबाज़ी, उसके लिए जरूरी बॉडी पॉशचर, सहजता से की गई घुड़सवारी जैसे स्वयं ही वो रानी हो और बरसों से वो ऐसा करती रही हो, हर एक फ्रेम में प्रभावशाली भाव भंगिमा व चाल ढाल और जबरदस्त अभिनय उससे प्रेम करने को आपको मजबूर कर देगा।

कुछ जगह फ़िल्म ढीली जरूर पड़ती है, पर उतना अनदेखा किया जा सकता है। आख़िर  बाकी फ़िल्म में देखने लायक बहुत कुछ है कॉस्ट्यूम्स, आर्ट डायरेक्शन, सेट्स, गीत संगीत सब लाज़वाब है।

Twinkle Tomar Singh 💕

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