Sunday 29 April 2018

महरी महिमा पुराण

रेडियो पर गाना चल रहा है
पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे
कि मैं तन मन की सुध बुध गवां बैठी
हर आहट पर समझूँ वो आय गयो रे...

नायिका दोपहर बीतने के बाद अलसायी सी बिस्तर पर पड़ी है। उसके कान समेत सभी पांचों इंद्रियां दरवाजे पर लगी हुई है। तभी दरवाजे की घंटी बजती है....
प्रफुल्लित नायिका के पैरों में रोलर स्केट्स लग जाते है । उल्लास से वो दरवाजा खोलती है।
पर सामने खड़े व्यक्ति को देखकर उसकी सारी खुशी काफ़ूर हो जाती है ....
मन मे सड़ा सा भाव आता है ..
अरे ये तो रोज रोज खिटपिट करने वाले 'वो' आये है..

नायिका उन्हें चाय वगैरह देने में व्यस्त हो जाती है। अभी भी उसके कान समेत छह इंद्रियां ( ध्यान दें अबकि बार छह ) दरवाजे की ओर लगी हैं।

फिर से दरवाजे की घंटी बजती है। नायिका के मन में फिर उल्लास जागता है। जैसे भक्त मंजीरा मनका सब छोड़कर भगवान का स्वागत करने पहुंचता है,वैसे ही नायिका चाय समोसा सब छोड़ के दरवाजे की ओर भागती है....
अबकि बार सामने खड़े व्यक्ति को देखकर उसका मन व्यक्ति के चरणों मे लोटने जैसा हो जाता है।
पर मन को बांध लेती है।
मन में उमंग के साथ जोर शोर से भाव उमड़ता है ( ध्यान दीजिए भाव इस बार उमड़ता है)...

अरे ये तो मेरे बर्तनों के साथ खिटपिट करने वाली 'वो' आयीं हैं....

#महरी_महिमा_पुराण
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Tuesday 24 April 2018

आत्महत्या

आत्महत्या



(तीन सहेलियां हैं सरला, विमला ,कमला। तीनों पति चाहती है राम जैसा, पर घर में महाभारत पसरी रहती है।)

सरला- रोज़ रोज़ की खिटपिट से त्रस्त हो गयी हूँ। इनका रवैया ऐसा है कि जी करता है सल्फास खा के मर जाऊं।

विमला - अरे बहन,सल्फास की गोली खा के मरने से तो बहुत तकलीफ होती है। कहते है पूरे शरीर में इतनी जलन होती है जैसे आग लग गयी हो।

कमला - अच्छा तभी ज़्यादातर लोग पंखे से लटक कर फांसी लगा लेते है। ऐसे मरना आसान होता होगा।

सरला - अरे नही जी। उसमें तो और बदतर स्थिति हो जाती है।जैसे ही गला कसता है,हाथ पीछे चले जाते है।आदमी चाह कर भी फंदा ढीला नही कर पाता ।

कमला - हे राम !

विमला - अरे और तो और उसमें न ,आँखें बाहर आ जाती है। चेहरा बड़ा भयानक हो जाता है।

कमला - न बाबा न ,तब तो बेकार है। पूरी जिंदगी चेहरे को क्रीम पाउडर बिंदी लाली से सुंदर बना कर रखा। अंतिम समय में ऐसी उबली हुई आंखे क्यों दिखाना कि पति याद करते भी डरे।

विमला - इससे अच्छा तो फिर गाड़ी के नीचे कट के मर जाया जाये।

कमला - क्या बात कर रही हो बहन। इसमें तो मरने की पूरी गारंटी ही नही है। कहीं सिर्फ पैर कट गए और समूचे बच गए तो जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।

सरला - हाँ ये तो है।

विमला - अब देखो कुछ लोग कई मंजिल ऊपर से कूद जाते है। उसमें भी कोई बचता है कोई नही।

सरला - देखो भाई ,ऊपर से कूदने का साहस भी बड़ी चीज है। सबके पास कहाँ होता है? मुझे तो वैसे भी vertigo की समस्या है।

कमला - अरे यार ,सब में ही कुछ न कुछ समस्या है। सरला बहन इससे तो अच्छा यही है। घरवाले से चाहे जितनी खिटपिट हो, घुट घुट के रोज़ मरना ही बेहतर है।

(तीनों ठंडी आहें भरकर नियति को स्वीकार कर लेती है।)
Twinkle Tomar 

Friday 6 April 2018

अमृता प्रीतम बनाम नागराज


पुरानी किताबों की पुरानी दुकान थी।
सरसों से तेल निकाला जा चुका था, किताबें सरसों की खली की तरह खोजट पड़ी थीं।
साहित्य प्रेमी हूँ ,उस खली में से भी तेल सोखने पहुंच गयी।
एक तरफ अमृता प्रीतम की पिंजर की पूरो की बोली लगी तीस रुपये में। नागराज भी वहाँ थे अपनी पुरानी कॉमिक्स साम्राज्य के साथ इतरा रहे थे।
न मालूम क्यों ऐसा लगा कि वो इतरा भी रहे हैं और हेय दृष्टि से पिंजर में बंद पूरो को देख रहे हैं।

आख़िरकार नागराज को भी लेने का मन बन गया बच्चों के लिये।किताबों के सौदागर से उनकी क़ीमत पूछी।
हनक के साथ वो बोला -सौ रुपये (जिस पर प्रिंट दाम पड़ा था आठ रुपये।)

नागराज के दम्भ का रहस्य मुझसे छुपा न रहा फिर !
Twinkle Tomar


द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...