Saturday 28 March 2020

लॉक डाउन वाला लव

रौनक कभी गेट के बाहर देखता, कभी सड़क पर थोड़ी देर खड़ा रहता, कभी छत पर चला जाता। कुछ उसको परेशान कर रहा था। लॉकडाउन का तीसरा दिन था। सड़कों पर कर्फ्यू की जैसी स्थिति थी। कोई कहीं नहीं आ जा रहा था। 

कल रोहन की पत्नी वैशाली का जन्मदिन था। शादी के बाद पहला जन्मदिन। कहाँ उसने सोच रखा था कि बड़ी धूम धाम से मनायेगा, और कहाँ ये वायरस आपदा के चलते सब कुछ बन्द था। केक, कैंडल्स, एक अच्छा सा गिफ़्ट, बढ़िया डिनर...सारे प्लान उसके धरे के धरे रह गए। 

छत पर उसने शाम को ढलते हुये सूरज को देखा। उसने जेब से एक सिगरेट निकाली और उसे जलाकर फूँकने लगा।    अपनी बेबसी पर उसे इतना मलाल कभी नहीं हुआ। क्या करे? कैसे सरप्राइज़ दे अपनी नई नवेली दुल्हन को। क्या कर दे कि उसे ससुराल में अपना ये पहला जन्मदिन सदा के लिये याद रह जाये। 

उसे याद आया अभी पिछली सर्दी में ही उसका जब जन्मदिन पड़ा था, वैशाली ने कितने अच्छे से सेलिब्रेट किया था। उसके दोस्तों को घर पर इनवाइट किया था। पूरा खाना ख़ुद बनाया था। उसकी पसंद का मूँग का हलवा वैशाली घंटों खड़े होकर भूनती रही थी। और तो और उसने अपनी थोड़ी सी सेविंग के पैसों से एक कुर्ता भी खरीद कर दिया था। 

तभी उसका एक हाथ अपने कुर्ते के कॉलर पर चला गया। " यही कुर्ता तो है ये वो।" उसे पसंद कम था, पर क्योंकि वैशाली का प्यार था इसमें इसलिए उसने ख़ूब पहना। सिगरेट फूँकने से भी उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं मिल रहा था। हताश होकर उसने सिगरेट बुझा कर एक कोने में फेंक दी। 

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घड़ी ने रात के पौने बारह बजने का इशारा किया। रौनक धीरे से उठा। छत पर जाकर उसने सारी तैयारी कर दी। फिर नीचे धीरे से आकर आधी नींद में सोती हुई सुंदर सी पत्नी को जगाया। " हैप्पी बर्थडे स्वीट हार्ट।" इतना कहकर उसके माथे को चूम लिया। वैशाली अचकचा कर उठी। फिर लज्जा गयी। 

रौनक ने उसका हाथ पकड़ा और उसे छत पर चलने का इशारा किया। दोनों दबे पाँव छत की तरफ चले। रौनक के मम्मी पापा दूसरे कमरे में सो रहे थे। वो नहीं चाहता था कि वो लोग जग जायें। 

छत पर हल्की हल्की रोशनी थी। एक मेज के ऊपर कोई केक सा रखा था और बीच में एक कैंडल जल रही थी। वैशाली ने पास जाकर देखा तो ये केक नहीं ये तो गाजर का हलवा था जिसे गोल आकार में सजा कर रखा गया था। 

"अच्छा जी, तभी पापाजी ने पूरा फ्रिज़ छान डाला और उन्हें गाजर का हलवा कहीं नहीं मिला। सभी ये सोच रहे हैं किसी दूसरे ने खा लिया होगा। " वैशाली की हँसी नहीं रुक रही थी। 

" क्या करता वैशाली? और कुछ था ही नहीं , तो अपने ही घर में चोरी करनी पड़ी मुझको।" 

"पर ये क्यूट सा चोर मुझे बहुत पसंद है।" वैशाली ने गाजर के हलवे का केक काटकर रौनक के मुँह में डाल दिया। 

रौनक ने भी थोड़ा सा गाजर का हलवा वैशाली को खिला दिया। इसके बाद रौनक ने अपनी जेब से एक पैकेट निकाला और वैशाली को दिया। 

वैशाली की आँखे हल्की रोशनी में भी चमक रहीं थीं। उसके होठों पर मुस्कान थिरक रही थी। पर जैसे ही उसने वो पैकेट खोला उसकी मुस्कान गायब हो गयी। आँखों में आश्चर्य दीप्त हो गया। 

" ये ...? ये क्या...? इसका मैं क्या करूँगी?" वैशाली ने पूछा। 

"इसे तुम्हें संभाल कर रखना है। ये मेरी सबसे प्यारी चीज़ है। जानती हो न जबसे कॉलेज जा रहा हूँ तब से ये हमेशा मेरे पास रहती है।" 

" जानती हूँ। पर तुम ये भी तो जानते हो ये मेरी सौत है। और मुझे बिल्कुल पसंद नहीं।" 

" जानता हूँ। तभी तो तुम्हारे पहले जन्मदिन पर इतना अनमोल तोहफ़ा दिया है। जाओ आज से तुम्हारी सौत को होठों से लगाना बंद। मुझे तुम्हारी कसम है। अब मुस्कुरा भी दो।" रौनक ने वैशाली के सर पर हाथ रख कर प्यार से उसे देखते हुये कहा। 

वैशाली की आँखों में आँसू झलक आये। सगाई के बाद से ही जब से पता चला था वैशाली रौनक से कहती रही थी सिगरेट छोड़ दो। पर रौनक अपनी लत छोड़ ही नहीं पाता था। 

वैशाली को भी इतने प्यारे गिफ्ट की उम्मीद नहीं थी। वो खिलखिलाकर रौनक के गले लग गयी। 

लॉकडाउन के कुछ फायदे भी होते हैं भई। 

टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

Wednesday 18 March 2020

पत्थर

अलग होकर भी
पत्थर पहाड़ से
अकड़ में रहता है
सजूँगा मंदिर में
चढूँगा चाक पर

लुढ़कने से लेकर 
छेनी के आघात तक
क्या क्या सहना होगा
अलग होते समय
सोचता नही है

माता पिता से 
बिछड़कर मैंने भी
कब सोचा था ?

टि्वंकल तोमर सिंह 


Thursday 12 March 2020

मशकबीन

माना कि
जाने देना 
सदा से आसान रहा है
मशकबीन पर
वापस बुला लेने वाली 
संगीत-लहरी छेड़ने से 

अपने अंदर के
उस छोटे से 
छटपटाते हिस्से को
कैसे उत्तर देते हो
जो फुसफुसाता रहता है
'रोका क्यों नहीं?'

© ® टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...