पीड़ा की कक्षा में
हम दोनों ही विद्यार्थी थे
परीक्षा थी
मेरे दर्द सहने की
उसकी मुझे दर्द सहते देखने की!
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~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...