Sunday 26 August 2018

रक्षाबंधन

भाई वो होता है
जिसे एक बहन हमेशा बचपन में नापसंद करती है
क्योंकि वो उसके लिये एक कॉम्पिटिशन होता है। उसे लगता है कि माता पिता का प्यार उसे ज्यादा  मिलता है। शैतानी भाई ज्यादा करता है पर क्योंकि बहन को साथ रखता है तो मार / डांट दोनों को बराबर झेलनी होती है। वो जरा जरा सी लड़ाई में बाल खींचने वाला और मारपीट करने वाला प्राणी भी होता है।

पर जैसे जैसे समय बीतता है भाई एक मजबूत सहारे की जगह ले लेता है।

मम्मी पापा से छुपा के कितने काम करने होते है। जिनमें भाई बराबर से साथ देता है। चाहे वो कॉमिक्स मंगाना हो, या चटर पटर खाने की कोई चीज़ या कोई सीक्रेट गेम्स खेलना हो जिसमें मम्मी की रसोई या पापा के टूल बॉक्स में रखी चीज़ों का बर्बाद होना तय है।

बहन को कोई नई डिश बनाने में हाथ आजमाना होगा, तो भाई को ही दस बार बाज़ार दौड़ाया जायेगा। क्योंकि बहन कोई गृहस्थन तो है नही जो उसे एक बार में सब याद आ जाये कि इस पकवान की रेसिपी में क्या क्या पड़ेगा।

पढ़ाई में मन लगे न लगे ,पर कॉपी, किताब, नोट्स के लिये 2 किलोमीटर दूरी पर रहने वाली अपनी सहेली के घर बार बार दौड़ा कर भाई को ही भेजा जाता है। अब ये अलग बात है कोई भाई ये काम खुशी से करता है, कोई नही। क्यों ?...ये कोई बताने वाली बात नही है, समझने वाली बात है।

बहन को स्कूटी चलाना सिखाने वाला भाई ही होता है। बिना इसकी परवाह किये कि कितनी बार इस सीखने सिखाने के चक्कर में दोनों गिरेगें। और चोट भी भाई को ही ज्यादा लगेगी क्योंकि पैर से स्कूटी रोक कर आखिरी क्षण तक बहन को बचाने का दारोमदार भाई पर ही है।

शादी के वक़्त वो भाई ही होता है जिसे देखकर कहा ही नही जा सकता कि उसका जन्म भी किसी की शादी में कोट पहन के घूमने के लिये हुआ है। बहन की शादी में उसे इतना दौड़ना पड़ता है कि वो दो दिन से पहना हुआ कुर्ता भी नही बदल पाता। उस दिन वो भाई कम मजदूर ज्यादा लगता है।

बहन को सलाह और काउन्सलिंग की जरूरत हो तो भाई हमेशा फ्री में काउन्सलिंग कर देता है, वो भी पूरे सम्मान के साथ। यही भाई विकास के अंतिम चरण में मामा के रूप में परिणत हो जाता है और ज़्यादा जिम्मेदार व विनीत हो जाता है।

हर वो बहन खुशनसीब है जिसे ऐसा भाई मिला है, मैं उनमें से एक हूँ।

Twinkle Tomar Singh ❤

Friday 24 August 2018

प्रेम में आसक्त जोगन



उसकी नीली आंखें
सप्तऋषि तारों के चूर्ण से
बने अलौकिक अंजन से दमकती हैं

उसकी मुस्कान में
रहस्यों की असंख्य सितारा मछलियां
ओष्ठ के इस छोर से उस छोर तक मचलती हैं

उसके अनसुलझे बालों को
किसी केश विन्यास में बंधने का लालच
वन में चुपचाप खिला कोई पुष्प नही दे सका है

प्रेम में आसक्त
माला फेरती एक जोगन से
दिव्य व दीप्त इस सृष्टि की कोई कृति नही है

Twinkle Tomar








Thursday 23 August 2018

जब बहु ने पापाजी को राखी बांधी

कैलाश नाथ जी जीवन की संध्या में अपने भरे पूरे परिवार को देखकर खुश थे। इकलौता बेटा अच्छी जगह नौकरी पर था। उसका विवाह भी इस वर्ष कर दिया था। हर त्योहार धूम धाम से मनाते थे। बस रक्षा बंधन का त्योहार ही ऐसा था जो उन्हें पीड़ा देता था। कारण ये था कि उनकी छोटी बहन की बहुत पहले ही मृत्यु हो गयी थी। अपनी बहन से वो बहुत हिले हुये थे।

वो किसी से कुछ कहते तो नही थे। पर उनके अंदर के बालक की यही इच्छा रहती थी काश बहन होती तो उनकी ये कलाई सूनी न रहती। 

उनकी बहु विलक्षणा का ये पहला रक्षाबंधन का त्योहार था। दो दिन पहले ही उसका भाई लिवाने आया था। संयोग से उसकी चचेरी ननद का ससुराल भी उसी के ही शहर में था। तो उसका पति कौस्तुभ भी उसके साथ गया। तय हुआ कि कौस्तुभ वही राखी बंधवा लेगा। विलक्षणा खुशी खुशी अपने मायके चली गयी।

रक्षाबंधन वाले दिन दोपहर में दोनों परिवारों की वाट्सअप पर वीडियो कॉल से बात हुई। प्रणाम और आशीर्वाद का आदान प्रदान हुआ, हाल चाल लिया गया। अचानक बहु विलक्षणा का ध्यान अपने ससुर कैलाश नाथ जी की सूनी कलाई पर गया। उसे ये देखकर बहुत बुरा लगा।

विलक्षणा अपने पति से जिद करने लगी कि तुरंत वापस चलना है। आखिर कार से चंडीगढ़ और दिल्ली की दूरी तय करने में वक़्त ही कितना लगता है। उसने हिसाब लगाया शाम तक तो पहुंच ही जायेंगे। 

घर पहुंचने पर उसकी सास ने दरवाजा खोला। उन्होंने आश्चर्य जताया कि बहु इतनी जल्दी कैसे आ गयी। विलक्षणा ने कहा- बताती हूँ। फिर उसने बिना समय बर्बाद किये हाथ मुंह धोये, पूजा का थाल सजाया। पर्स से राखी निकाल के थाली में रखी और अपने ससुर के कमरे की ओर चल दी। कैलाशनाथ जी पेपर पढ़ने में व्यस्त थे । आहट सुनकर उन्होंने ऊपर देखा तो दंग रह गये। एक तो बहु के जल्दी लौट आने के कारण ,दूसरा उसके हाथ में पूजा का थाल देखकर।
विलक्षणा ने कहा - पापा जी, जल्दी से हाथ आगे करिये। मुहूर्त निकल जायेगा। कैलाश नाथ जी संकोच में पड़ गए । बोले - अरे बेटा, आप तो बहु हो। क्यों परेशान हो रही हो? मुझे इसकी आदत है।"

"पापा जी ,आपको आदत होगी सूनी कलाई रखने की, मगर मुझे अभी आदत नही है रक्षा बंधन के दिन आपकी सूनी कलाई देखने की। न मैं ये आदत डालना चाहती हूँ। "
"लाइये हाथ आगे करिये। रक्षा बंधन का मतलब है- रक्षा का बंधन । और मैं आज आपको इस नये बंधन में बांध रही हूँ," विलक्षणा ने कहा ।
कैलाश नाथ जी की आंखें भर आयी। रुंधे गले से बस इतना बोल सके - "तुम्हारी जैसी बेटियों की तो ईश्वर खुद भाई बन के रक्षा करते है। मैं क्या वचन दूँ तुम्हें भला ।" 
#rakshabandhan
फोटो- साभार गूगल
Twinkle Tomar 

Friday 17 August 2018

मौसी बलात्कार क्या होता है ?

थ्री इडियट्स मेरी छह वर्षीय भांजी की एक बहुत पसंदीदा फिल्मों में से एक है। एक दिन वो ये फ़िल्म अपने पापा के साथ बैठ कर देख रही थी। उस फ़िल्म में वो सीन आया जब रेंचो ने अपने प्रतिद्वंदी चतुर रामालिंगम की स्पीच में चमत्कार शब्द को बदलकर बलात्कार कर दिया था। उसने अपने पापा से पूछा कि बलात्कार क्या होता है। उसके पापा खड़बड़ा गये ।उन्हें कोई उत्तर न सूझा। उन्होंने कहा अपनी मौसी से पूछना उनको पता होगा। 
बच्चों के ऐसे प्रश्नों का जवाब देना आसान नही होता। मेरी भांजी कई दिनों से छोटी बच्चियों के साथ हुये बलात्कार की खबरें भी आते जाते चलते हुये टीवी में सुनती रहती थी। जाहिर है इसीलिये उसका ध्यान इस ओर अधिक गया। 
मेरी भांजी मुझसे बहुत हिली हुई है। उसने मुझसे पूछा - "मौसी बलात्कार क्या होता है। क्या ये कोई मैजिक जैसी चीज है?"
उसके मासूम चेहरे और भोले प्रश्न ने मुझे एक बड़ी जिम्मेदारी से भर दिया। मुझे इसका उत्तर देना ही होगा। मैं उसे ये कहकर टाल नही सकती थी। जब तुम बड़ी हो जाओगी खुद समझ जाओगी। 
मैंने उसे पूछा- अगर कोई अजनबी जिसे तुम जानती नही हो, आकर तुम्हें कस के पकड़ ले, जबरदस्ती प्यार करने लगे तुम्हें कैसा लगेगा?
उसने कहा - मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगेगा। वैसे भी कोई भी अंकल या आंटी जब जोर से गाल पर किस करता है , मुझे नही अच्छा लगता। मेरे गाल पर कोई कोई इतना थूक लगा देता है कि मैं अपने हाथ से तुरंत पोछ देती हूँ।
मैंने कहा - सही बात। इसी तरह कोई भी आदमी अगर तुम्हें अकेले में जबरदस्ती गोद में उठा ले, चूमने लगे, तुम्हरी thighs को सहलाये, तुम्हारी कच्छी उतारने की कोशिश करे, तो इसे बलात्कार करना कहते है।
कोई घर के अंदर भी जिसे तुम जानती हूँ वो भी अगर ऐसा करे तो ये गलत काम है। अगर घर के अंदर या बाहर कोई भी ऐसा तुम्हारे साथ करे तो तुरंत अपनी मम्मी को या मुझे बताना।
इसके बाद मैंने उसे यू ट्यूब पर एक कार्टून फ़िल्म दिखाई जिस में कोमल नाम की लड़की को उसके एक अंकल एक्सप्लॉइट करते थे। उस शार्ट फ़िल्म में गुड टच , बैड टच के बारे में बच्चों को जानकारी दी गयी थी।
इस फ़िल्म को देखने के बाद मेरी भांजी थोड़ी देर के लिये शांत हो गयी। जैसे कि मन ही मन गणना कर रही हो कि उसको प्यार करने वाले कितने लोगों के टच अच्छे थे कितनों के बुरे। उसने मुझसे मोबाइल लेकर ये फ़िल्म बार बार देखी। जब फ़िल्म में कोमल को उसके अंकल गलत ढंग से छूते थे, उसकी आँखों मे अलग से भाव आ जाते थे , उसकी आंखें फैल जाती थी।
दूसरे दिन उसने मुझसे कहा - "मौसी मुझे बलात्कार का मतलब समझ आ गया। ये कोई मैजिक नही होता है। जैसा कार्टून में दिखाते है, ये ब्लैक मैजिक होता है ,जिसमें गुड़िया को चोट लग जाती है या वो मर जाती है।"

Twinkle Tomar

Wednesday 15 August 2018

किस्मत

72वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में उसे पाकिस्तान की जेल से रिहा किया गया था।जब वो पकड़ा गया,जवान था, जब बाहर निकला उसकी सारी उम्र खर्च हो चुकी थी। जब वो अपने गांव पहुंचा, उसकी पत्नी ने भावातिरेक से उसे उपालम्भ देते हुये कहा - "अब आये हो विदा की बेला में ?"
उसने जवाब दिया - किस्मत ने विदा की बेला में मिला दिया , ये क्या कम है? खुश हूँ कि बदकिस्मती में सरबजीत से कमतर हूँ, जो सुर्खियों में तो रहा, मगर लौटकर अपनी बूढ़ा पत्नी के झुर्रीदार गालों पर उतरती सुर्खी कभी न देख सका।"

Twinkle Tomar

Friday 10 August 2018

प्रेम

प्रेम
जैसे कि एक पेड़ में छुपी हों
जितनी भी अदृश्य कलियाँ
एक साथ खिल गयीं हों

जैसे कि गुलाबजल का मर्तबान हो
और ढक्कन खोलने के प्रयास में
फिसल कर टूट गया हो

जैसे कि एक बुझ चली आग हो
किसीे के अनजाने में गुग्गल डाल देने से
बलखाता धुआं उठा हो

जैसे कि उसने दिया हो
झूठा प्याला हल्के मीठे शर्बत का
अमृत का स्वाद मिला हो

Twinkle Tomar



Sunday 5 August 2018

Friendship Day

रूसो ने कहा है मनुष्य कहीं भी रहे मगर वो बंधनों में रहता है। कुछ यही बात रिश्तों के बारे में कही जा सकती है। हम कहीं पर भी रहे , पर हम रिश्तों के बंधनों में है।

भगवान ने हमें कई खूबसूरत रिश्तों से नवाज़ा है। पर किसी भी रिश्ते में ग्लू एक ही होता है। दोस्ती का।
अगर ये ग्लू नही होता है तो वो रिश्ता दो लोगों को रिश्तेदार में बदल देता है।

अगर आप पति पत्नी से ज्यादा मित्र है तो ही आपका रिश्ता चुम्बकीय रह सकता है। भाई बहन जहां भी मित्र ज्यादा है, वहां वो मामा और बुआ बनने के बाद भी एक दूसरे के सदा सहायक है। यही बात हर रिश्ते के लिये है आपके चाचा चाची हो, आपकी ननद भाभी हो,भतीजा भतीजी हो आपको मित्रता के स्तर तक आना ही होगा, तभी वो रिश्ता खूबसूरत रह पायेगा।

प्रेम पंछी भी अपने शारीरिक आकर्षण बल से परे मित्रता के गुरुत्व बल के दम पर ही लंबे समय तक साथ रह पाते है।

कॉलीग और पड़ोसी भी आपके साथ बूढ़े हो जायेंगे साथ रहते रहते ,पर ये दोस्ती का ग्लू अगर आपके बीच न आ पाया , तो आप प्रतिद्वंदी या rival के रिश्ते में बंध कर रह जायेंगें।

सिर्फ माता पिता और संतान का रिश्ता है जहां कोई कंडीशन नही। वो भी माता पिता की तरफ से।

यहां तक कि सहपाठी , बचपन के मित्र सब बदल जाते है समय के साथ। सिर्फ दोस्त होने से कोई दोस्त नही रह जाता।

ये दोस्ती का ग्लू एक अलग क़िस्म का खिंचाव है, जिसमें आप किसी विशेष व्यक्ति के सानिध्य में अच्छा महसूस करते है। उससे अपनी बातों को कह कर अच्छा लगता है। वो आपको सम्मान देता है। आपको भरपूर चिढ़ाता भी है।आप भी उसकी खिल्ली उड़ा देते है, फिर भी वो आपकी बातों का बुरा नही मानता।

मगर सबसे कठिन बात है ये है कि ये ग्लू पैदा नही किया जा सकता। अंतिम लगाम ईश्वर अपने हाथ मे ही रखते हैं।

Twinkle Toamr













Saturday 4 August 2018

वो शाम कुछ अजीब थी

गीत के उदास बोल और एक अजब सी कसमसाहट लिये हुए धुन। अपने में बहा ले जाती हुई ये धुन किसी ख़लिश के कोने में ले जाकर अकेला छोड़ दे...

और उस पर भी ज़ुल्म ये कि गीत किशोर कुमार की दिलकश आवाज़ में हो, तो गीत आत्मा में जाकर ठहर जाता है । मन में किशोर जी की रीती रीती आवाज़ कुछ देर के लिये बस जाती है। यूँ लगता है जैसे कहीं से टकराकर अपने ही दर्द की प्रतिध्वनि आ रही हो।

उनकी रुमानियत भरी , रूहानी, कशिश में डूबी आवाज़ आपको किसी और जहान में ले जाती है, और काफ़ी देर तक उस अहसास से निकलने नही देती....

हां वो कल भी पास पास थे, वो आज भी करीब है,
हर अजीब शाम की ख़लिश में साथ निभाने के लिये।



"दबी-दबी हँसी में इक हसीन सा गुलाल था....

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है"

Happy Birthday Kishor Da ❤


द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...