Sunday 5 August 2018

Friendship Day

रूसो ने कहा है मनुष्य कहीं भी रहे मगर वो बंधनों में रहता है। कुछ यही बात रिश्तों के बारे में कही जा सकती है। हम कहीं पर भी रहे , पर हम रिश्तों के बंधनों में है।

भगवान ने हमें कई खूबसूरत रिश्तों से नवाज़ा है। पर किसी भी रिश्ते में ग्लू एक ही होता है। दोस्ती का।
अगर ये ग्लू नही होता है तो वो रिश्ता दो लोगों को रिश्तेदार में बदल देता है।

अगर आप पति पत्नी से ज्यादा मित्र है तो ही आपका रिश्ता चुम्बकीय रह सकता है। भाई बहन जहां भी मित्र ज्यादा है, वहां वो मामा और बुआ बनने के बाद भी एक दूसरे के सदा सहायक है। यही बात हर रिश्ते के लिये है आपके चाचा चाची हो, आपकी ननद भाभी हो,भतीजा भतीजी हो आपको मित्रता के स्तर तक आना ही होगा, तभी वो रिश्ता खूबसूरत रह पायेगा।

प्रेम पंछी भी अपने शारीरिक आकर्षण बल से परे मित्रता के गुरुत्व बल के दम पर ही लंबे समय तक साथ रह पाते है।

कॉलीग और पड़ोसी भी आपके साथ बूढ़े हो जायेंगे साथ रहते रहते ,पर ये दोस्ती का ग्लू अगर आपके बीच न आ पाया , तो आप प्रतिद्वंदी या rival के रिश्ते में बंध कर रह जायेंगें।

सिर्फ माता पिता और संतान का रिश्ता है जहां कोई कंडीशन नही। वो भी माता पिता की तरफ से।

यहां तक कि सहपाठी , बचपन के मित्र सब बदल जाते है समय के साथ। सिर्फ दोस्त होने से कोई दोस्त नही रह जाता।

ये दोस्ती का ग्लू एक अलग क़िस्म का खिंचाव है, जिसमें आप किसी विशेष व्यक्ति के सानिध्य में अच्छा महसूस करते है। उससे अपनी बातों को कह कर अच्छा लगता है। वो आपको सम्मान देता है। आपको भरपूर चिढ़ाता भी है।आप भी उसकी खिल्ली उड़ा देते है, फिर भी वो आपकी बातों का बुरा नही मानता।

मगर सबसे कठिन बात है ये है कि ये ग्लू पैदा नही किया जा सकता। अंतिम लगाम ईश्वर अपने हाथ मे ही रखते हैं।

Twinkle Toamr













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