Monday 18 September 2017

निंदा रस

निंदा रस
निंदा और स्तुति दोनों अहंकार के पोषक हैं।
और अहंकार पोषित हुए बिना पीछा नही छोड़ता।
यदि कोई व्यक्ति आपके सामने किसी की निंदा करे, तो आप इस कार्य मे उसका भरपूर सहयोग करें।उस हद तक जब तक निंदा कर कर के उसका अहम संतुष्ट न हो जाये।

 जिस प्रकार यौन संतुष्टि पूर्ण न हो पाने पर व्यक्ति कामांध हो जाता है, उसी प्रकार अहम तुष्ट न हो पाने की स्थिति में निंदक व्यक्ति ज्यादा खतरनाक हो जाता है।अपूर्णता अमुक व्यक्ति को अंधा बना देती है और वो निंदा के शुक्राणु लिए संपर्क में आये हर व्यक्ति को निषेचित करने का प्रयास करता है।

अतः किसी की निंदा उस व्यक्ति के मुंह से धैर्यपूर्वक सुन कर,उसे सहारा देकर,उसकी हाँ में हाँ मिलाकर आप निश्चित ही अमुक व्यक्ति के अहंकार को पुष्ट करके एक तरह से समाज सेवा कर रहे हैं।
निश्चिंत रहें !
Twinkle Tomar Singh 😎

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