Wednesday 7 February 2018

रोज़ डे

रोज़ डे

"अरे ये क्या...इतने सारे गुलाब?"

"हां आज कुछ रोज़ डे है। सब फूल खरीद रहे थे। मैंने भी ले लिये।"
साइकिल दीवार से लगाते हुये उसने कुछ सकुचाते हुये शरमाते हुये कहा।दूसरों को देखकर उसे भी शौक जागा था इसलिये उसने अपनी पत्नी के लिये फूल ले लिये थे।वैसे भी उसके लिये कभी कहाँ कुछ खरीद पाता है।

पत्नी के अंदर बसी प्रेमिका की आत्मा ने  लाल गुलाबों में बसी प्यार की लाली को महसूस किया, खींच कर भरपूर खुशबु भर ली अपनी सांसों में ।उसके मन ने अंदर ही अंदर भरतनाट्यम किया। पर तुरंत ही उसके अंदर की गृहस्थन जाग गयी ।

एक आह के साथ उसने गुलदस्ता एक किनारे रखते हुये कहा- "अरे इससे अच्छा गुलाब जामुन ले आते। रोज़ डे से तो अच्छा माता जी और राजू के साथ "गुलाब जामुन डे" हो जाता !

Twinkle Tomar

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