Monday, 23 July 2018

गुलशन के गल्ले में बहार रहे

पेडों में होड़ है,
कौन कितना अधिक
रंग सोख सकता है,
सूरज से,
मेरी आत्मा को
हरा रखने के लिये,
आखिर मेरी ही तो
हंसी के
सिक्कों की खनक से
गुलशन के गल्ले में
बहार रहे !
Twinkle Tomar




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