Friday, 1 April 2022

ऑल फूल्स डे

ऑल फूल्स डे
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हम सब जीवन में कभी न कभी इस दिवस पर मूर्ख बने हैं या किसी दूसरे को मूर्ख बनाने का प्रयास किया है। एक बार इस दिवस पर मूर्ख बनने वाला व्यक्ति सारे जीवन इस 'अप्रैल फूल' बन जाने की घटना को याद रखता है। कुछ अधिक ही सतर्क रहता है।

दो मजेदार उदाहरण याद आ रहे हैं।

मेरे घर में सेम की बेल लगी थी। अच्छा खाद-पानी पाकर उसमें सेम की फलियाँ लहलहाने लगीं। इतनी कि मेरे छह लोगों के परिवार के लिये उसे निपटा पाना संभव न था। अतः उसे मोहल्ले में बाँटने का निर्णय लिया गया। इस लकी ड्रा के लिये सबसे पहले उस परिवार को चुना गया जिससे हमारी सबसे अधिक घनिष्ठता थी। पिता जी ने एक थाली में सेम रखकर, ऊपर रुमाल से ढककर मुझे थमा दी और कहा-अमुक ऑन्टी को दे आओ। जब मैं उनके घर थाली लेकर पहुँची तो ऑन्टी ने थाली लेने से मना कर दिया। कारण उस दिन एक अप्रैल था। उन्हें लगा मैं उन्हें मूर्ख बनाने के लिये थाली में कंकड़-पत्थर रख कर लायी हूँ। बाद में उन्हें रुमाल हटाकर दिखाया तब वो मानी, फिर भी सशंकित थीं कि कहीं सेम के अंदर कुछ भरा न हो। 

मेरे एक भैया थे। एक अप्रैल को उनका जन्मदिन था। पहले जन्मदिन मनाया नहीं जाता था। पर एक बार उनके घरवालों ने उनका जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया। वो सुबह सुबह आस पड़ोस में अपने सभी संगी साथियों को निमंत्रण दे आये। संध्या के समय पार्टी की समस्त तैयारी करके नन्हें अतिथियों की प्रतीक्षा करने लगे। पर एक भी बालक घर नहीं आया। कारण आप समझ ही सकते हैं।

एक अप्रैल को थोड़ा बहुत मौज-मस्ती तो बचपन में होती ही थी। कभी साबुन के टुकड़े को टॉफी की पन्नी में लपेट कर किसी बच्चे को खिला दिया, चाय में नमक मिला दिया, टूटी कुर्सी पर बैठा दिया...आदि..आदि..

पर कुछ लोगों की प्रवृत्ति होती है दूसरों को मूर्ख बना कर अपना मतलब निकाल लेना। पेशेवर ठगों की बात जाने दीजिए, सामान्य जीवन में भी कुछ अति चालाक क़िस्म के लोग मिल जाएंगे, जिनके झाँसे में सीधे-साधे व्यक्ति यदि फंस जाए तो उनका मूर्ख बनना निश्चित है।

किसी भोले भाले,अनपढ़ फेरी वाला जो अधिक हिसाब नहीं जोड़ पाता उससे चीज़ हड़प लेना और पैसे भी कम दे देना, घर में कामवाली से आवश्यकता से अधिक काम लेना (कि जितने पैसे उसे दिए हैं उससे अधिक ही वसूल लें) किसी मासूम मित्र के बात बात पर धन खर्च करवा देना, दूसरे के घर में कोई चीज़ है तो उस चीज़ का माँग माँग कर प्रयोग करते रहना, पर स्वयँ उसको न खरीदना, दूसरे से मीठी मीठी बातें करके उससे अपना काम निकलवा लेना...पता नहीं कितने उदाहरण मिल जाएंगे दुनिया में।

चालक व्यक्ति को इसमें एक परपीड़क सुख के अलावा क्या संतोष मिलता है? क्या सुख की सच्ची परिभाषा से वो वास्तव में परिचित हैं? वह व्यक्ति जिसे आपने मूर्ख बनाया, या तो वो पहले से आप पर भरोसा करता था, तब आप उसे मूर्ख बना पाए या फिर उसने आपको अपना विश्वास जीतने का एक मौका दिया था,पर आपने खो दिया। असली मूर्ख कौन हुआ फिर?

~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

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