हिमानी अपने स्टॉफ रूम में बैठी रजिस्टर का कोई वर्क कर रही थी। तभी कक्षा नौ से कक्षा दस में आयी एक लड़की उसके पास आती है। "मैम आपसे एक काम था।"
हिमानी ने रजिस्टर से मुंह उठा कर उसे देखा और पूछा बोलो क्या बात है?
"मैम जी , मुझे अपनी मम्मी का नाम चेंज कराना है।"
"मम्मी का नाम चेंज कराना है? क्या मतलब ? रिजल्ट में कुछ गलत चढ़ गया है ?"
"नही मैम जी..... "हिचकते हुये उदास स्वर में वो बोली।
"फिर क्या? सरनेम में कोई दिक्कत है?"
"नही मैम जी वो बात नही है।"
"फिर क्या बात है?"
"मम्मी का नाम कमला था। अब सुधा कराना है।"
"हैं ??? मम्मी ने नाम बदल लिया है?"
बच्ची चुप रही। कुछ बोली नही ।
"क्या बात है साफ़ साफ़ बोलो। तुम्हारी मम्मी ने हाई स्कूल इंटर कुछ पास किया है? जो उनके सर्टिफ़िकेट पर नाम होगा वही नाम रहेगा।" हिमानी ने सोचा कुछ पुकारने वाला नाम और स्कूल वाले नाम का लोचा होगा।
"नही मैम जी वो पढ़ी लिखी नही हैं। "
(ये कहानी एक ग्रामीण परिवेश के सरकारी विद्यालय से ली गयी है। वहां ज्यादातर बच्चों के माता पिता आज भी अनपढ़ हैं।)
"अरे तो जो तुमने टीसी दी होगी उस पर जो नाम माँ का लिखा होगा वही रहेगा।"
"नही मैम जी, मुझे अपनी मम्मी का नाम चेंज कराना ही कराना है। टीसी में कमला है मुझे सुधा कराना है।"
"क्या तुम्हारी मम्मी बदल गयीं है?"
लड़की चुप। सिर नीचे झुका कर पैर के अंगूठे से जमीन खोद रही है।
"क्या बात है। खुल के बोलो।"
"जी मैम जी वो...वो....मेरे पापा ने दूसरी शादी कर ली है।"
"तो ? मम्मी तो तुम्हारी वही रहेंगी। तुम क्या मम्मी के साथ नही रहती ?"
"नही मैम जी मैं पापा के साथ रहती हूँ। पापा ने मम्मी को छोड़ दिया है।"
"अजीब लड़की हो। तब तो तुम्हें और अपनी मम्मी के साथ रहना चाहिये।"
"नही मैम जी.. मैं अपनी सौतेली मम्मी के साथ ही रहना चाहती हूँ।"
"पहली बार ये किसी बच्चे के मुंह से सुन रहीं हूँ कि वो अपनी सगी माँ को छोड़कर सौतेली माँ के साथ रहना चाहती है। कारण क्या है आख़िर।"
"मैम जी , मेरे दो छोटे भाई बहन और हैं। वो माँ के साथ ही रहेंगें। माँ इतनी गरीब हैं कि हम तीनों का खर्चा नही उठा पायेगी। और मैम जी...(सकुचाते हुये)..…मैं अपनी पढ़ाई छोड़ना नही चाहती।"
"ओह तो ये बात है। अगर तुम्हारी सौतेली मां ने तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार नही किया तो। "
"न करे। थोड़ा बहुत घर का काम ही तो करना होगा। खरी खोटी सुननी पड़ेगी। पर पापा पढ़ाई का खर्चा तो दे देंगे।"
"फिर भी इसमें माँ का नाम बदलवाने की क्या जरूरत है?"
"जरूरत है मैम जी। मैं अपनी सौतेली माँ को खुश रखना चाहती हूँ। उन्हें ये विश्वास दिलाना चाहती हूँ कि मैं अपनी सगी माँ से कोई वास्ता नही रखना चाहती। फिर वो मेरी पढ़ाई में ज़्यादा बाधा नही डालेगी।"
"तुम तो बड़ी स्मार्ट हो। इतनी छोटी उम्र में इतनी बुद्धि। और तुम्हें नही लगता कि तुम स्वार्थी हो रही है। बुरे वक़्त में अपनी माँ का साथ छोड़ रही हो। इतना काम माँ के लिये करोगी तो उनकी मदद हो जाएगी।"
"मैम कभी कभी जो दिखता है। होता उसका उल्टा है। माँ के साथ रही तो पढ़ाई ख़त्म। बस घर के काम में ही बंध कर रह जाऊंगी। मैं माँ से दूर रहकर माँ की मदद करना चाहती हूँ। मैं पढ़ लिख कर कुछ बनना
चाहती हूं। अपने पैरों पर खड़ी होकर इतना पैसा कमाना चाहती हूं कि मेरी माँ को फिर कोई दुःख न रह जाये।" लड़की की खोई खोई आंखों में आत्मविश्वास झलक रहा था।
"पापा अच्छा कमाते हैं। मम्मी दिखने में कम अच्छी है पढ़ी लिखी भी नही है। इसलिये उनको दूसरी पसंद आ गयी। वो अपनी पत्नी बदल सकते है। मैं अपनी माँ नही बदल सकती, सर्टिफिकेट में माँ का नाम तो बदल सकती हूँ। पापा ने पत्नी बदल कर मम्मी को दुःख दिया है, मैं माँ का नाम बदलकर अपनी प्लानिंग से चलकर माँ को खुशी देना चाहती हूं।"
हिमानी छोटी सी लड़की का मजबूत इरादा देखकर दंग रह गयी। सोचने लगी क्या करूँ ? रिकॉर्ड्स में नाम बदलना आसान तो नही है पर असंभव भी नही है। असंभव नही है तो न्यायसंगत भी नही है। एक अध्यापक की ज़िंदगी में कभी कभी ऐसे मुश्किल पल भी आ जाते हैं।
©® Twinkle Tomar Singh
No comments:
Post a Comment