Thursday 25 June 2020

विरासत

"अरे तेरे बाल कितने रूखे हों रहे हैं। ला मैं तेल लगा कर चम्पी कर देती हूँ।" मौसी ने नैना को पास बुलाते हुये कहा। उस वक़्त नैना की उम्र यही कोई उन्नीस- बीस वर्ष रही होगी। उस समय किसको बालों में तेल लगाना अच्छा लगता है। रूखे रूखे, शैम्पू किये हुये बाल ही फ़ैशनेबल लगते हैं। मौसी हर वक़्त अपने बालों में तेल लगाये रहती थीं। उनके हिसाब से बालों में तेल डालना रोजमर्रा के सौंदर्य प्रसाधन का एक हिस्सा होता था। 

मौसी कौन सा रोज़ रोज़ आती थीं। उनकी बात का मान रखते हुए नैना तेल की शीशी ले आयी और चम्पी करवाने लगी। 

" अच्छा मौसी, जब आप लोगों के समय में शैम्पू नहीं आता था, तब आप लोग बाल कैसे धोते थे।" नैना ने पूछा। 

मौसी के बाल बहुत सुंदर थे। आज भी ज़्यादातर काले ही थे और ख़ूब घने और लम्बे। नैना के अंदर कहीं न कहीं बालों को सुंदर रखने की चिंता आन बसी थी। 

" अरे हम लोग तो क्या नहीं लगाते थे, कभी बेसन, कभी मुल्तानी मिट्टी, कभी ये तो कभी वो। और रीठा , शिकाकाई से बाल धोते थे।" मौसी ने कहा। 

"अच्छा....माँ ने तो कभी बताया ही नहीं। " 

"तेरी माँ स्कूल में कबड्डी चैम्पियन थी । खेलने कूदने में ही लगी रहती थी। उसके पास कहाँ वक़्त था बनाव सिंगार का। और ये नुस्ख़े आजमाने का। मैंने अपनी माँ से सारे नुस्ख़े लिए और आजीवन उन्हें अपने जीवन में उतारा। सौंदर्य के, स्वास्थ्य के, स्वाद के अनगिनत नुस्ख़े थे उनके पास। " 

" मौसी मुझे बताओ, कैसे धोते थे रीठा और शिकाकाई से? मैं भी किया करूँगी। फिर मेरे बाल भी आपकी तरह सुंदर हो जायेंगे। है न। " 

"बिल्कुल हो जायेंगे, मेरी रानी बिटिया।" मौसी ने तेल डाल कर नैना की सुंदर सी चोटी गूंथ दी थी। 

"और भी जितने ब्यूटी बढ़ाने वाले नुस्ख़े हैं, सब मुझे बताना। प्लीज़।" नैना ने कहा। 

"अरे बिल्कुल। कौन सा मुझे अपनी छाती में बंद करके ले जाना है। " 

तब से काफी लंबे समय तक नैना ने मौसी के रीठा- शिकाकाई वाले नुस्ख़े को आजमाया। जितनी केअर हो सकती थी करती थी। तेल नियम से डालती थी। काफ़ी सुधार भी आया था उसके बालों की क्वालिटी में। उसके बाल ख़ूब घने लम्बे हो गए थे।

धीरे धीरे काफी समय बीत चला। नैना स्वयँ मौसी बन गयी थी। उसके सामने आज उसकी बहन की बेटी खड़ी थी ,वही उन्नीस- बीस बरस की उम्र लिये। उसके रूखे सूखे बालों को देखकर नैना को अपना समय याद आ गया। कैसे मौसी ने उसे प्यार से अपना आजमाया हुआ एक अचूक नुस्ख़ा दिया था। 

आज उसकी बारी थी, ये विरासत उसे अगली पीढ़ी को सौंपनी थीं। वो तुरन्त जाकर तेल की शीशी ले आयी। और अपनी बहन की बेटी को आवाज़ दी। " तेरे बाल कितने रूखे हो रहे हैं। ला तेल लगा दूँ इनमें।" 


"नो, मौसी, डोंट एवर थिंक ऑफ दैट। मुझे नहीं लगवाना ये चिपचिपा तेल अपने बालों में। " बेटी मुँह बनाते हुये बोली। 

" अरे आ तो ,देख कितनी अच्छी चम्पी करती हूँ मैं। और तुझे एक जादुई घरेलू नुस्ख़ा भी बताती हूँ। देखना तेरे बाल कितने सुंदर हों जाएंगे।" नैना ने अपनी वाणी में मिठास भरते हुये कहा। 

" नहीं मौसी मुझे नही करवाना। मैंने आज ही शैम्पू करके कंडीशनर लगाया है। मेरे हेयर ऐसे ही स्मूथ एंड सिल्की हैं। फिर मैं पंद्रह दिन में एक बार पार्लर जाकर हेयर मसाज, हेयर पैक भी लेती हूँ। हेयर स्पा भी लेती हूँ महीने में एक बार।  ऑय डोंट नीड दीज़ ओल्ड थिंग्स। स्पेयर मी, फ़ॉर गॉड्स शेक।" 

"अरे बेटी, सुन तो। सच में बड़े कारगर होते है ये पुराने नुस्ख़े।" 

"रहने दो मौसी। अभी हाल ही में मेरी दोस्त की बहन की शादी थी। उनकी बुआ ने जबर्दस्ती उसके फेशियल कराए हुये चेहरे पर हल्दी लगवा दी। सारा चेहरा ख़राब करवा दिया था। आप अपने पास ही रखो ये सो कॉल्ड अनोखे पुराने नुस्ख़े।" बेटी ने अपना मोबाइल उठाया, कान में हेडफोन लगाया और दूसरे कमरे में चली गयी। 


नैना अपना सा मुँह लेकर रह गयी। दो पीढ़ी में ही कितना अंतर आ गया था। उसने मौसी की बात टाली नहीं थीं। इसने अपनी मौसी की बात रखी ही नहीं। नैना उदास होकर सारे पुराने नुस्ख़े याद कर कर के अपनी एक डायरी में लिखने लगी। कहीं तो ये विरासत छोड़कर जानी ही है। भूले भटके ही सही,क्या पता,आगे आने वाली पीढ़ी कभी तो इन्हें आजमा ही लेगी। 

उधर से पुल न बने तो भी क्या इधर से पुल बनाने का प्रयास तो करते ही रहना चाहिए। 

टि्वंकल तोमर सिंह,
लखनऊ। 

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