Thursday, 14 January 2021

बंदिनी



मैं चरखी बन 
घूर्णन करती रही
कि तुम पतंग बन 
उत्तुंग मेह-शिखर से
ऊँची उड़ान भर सको,
मृत्यु से अधिक 
भय है मुझे
डोर के कट जाने का !

~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

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