मैं चरखी बन
घूर्णन करती रही
कि तुम पतंग बन
उत्तुंग मेह-शिखर से
ऊँची उड़ान भर सको,
मृत्यु से अधिक
भय है मुझे
डोर के कट जाने का !
~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...
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