कुछ स्त्रियाँ
पुरुषों के पदचिन्हों पर
चलते हुये,भरती हैं
उनके कदमों की धूल
अपनी माँग में !
कुछ स्त्रियाँ
पुरूषों से परे हटकर
छापती हैं अपने पदचिन्ह,
माँग में सिंदूर से अधिक
उन्हें भाती है
बिवाइयों में धूल !
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~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
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