श्रम दिवस
थुलथुल काया के स्वामी बड़े साब ट्रेडमिल पर दौड़े जा रहे थे , दौड़े जा रहे थे....मगर बढ़ा हुआ पेट था कि एक मिलीमीटर भी अपना व्यास कम करने तैयार नहीं था।
उनकी कोठी के सामने वाली ख़ाली जगह में एक इमारत उगाई जा रही थी। मजदूर सिर पर ईटें ढो रहे थे । न जाने क्यों बड़े साब को ऐसा लग रहा था कि उन मजदूरों के पतले और पिचके पेट उनके बढ़े हुये पेट की मुंह दबा कर खिल्ली उड़ा रहे हैं।
Twinkle Tomar
थुलथुल काया के स्वामी बड़े साब ट्रेडमिल पर दौड़े जा रहे थे , दौड़े जा रहे थे....मगर बढ़ा हुआ पेट था कि एक मिलीमीटर भी अपना व्यास कम करने तैयार नहीं था।
उनकी कोठी के सामने वाली ख़ाली जगह में एक इमारत उगाई जा रही थी। मजदूर सिर पर ईटें ढो रहे थे । न जाने क्यों बड़े साब को ऐसा लग रहा था कि उन मजदूरों के पतले और पिचके पेट उनके बढ़े हुये पेट की मुंह दबा कर खिल्ली उड़ा रहे हैं।
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