Thursday 10 May 2018

इस्कॉन मंदिर

अँग्रेजों का मंदिर

इस्कॉन मंदिर में सोलह सत्रह साल का एक अंग्रेज लड़का चौबीस पच्चीस साल के एक भारतीय लड़के को सिखा रहा था कि माला कैसे जपते हैं। सब नियम उसने सही से बताये, बस एक ही दिक्कत थी वो इंग्लिश में बता रहा था। इस कारण उस भारतीय लड़के को समझने में दिक्कत हो रही थी।

मैं थोड़ी दूर पर खड़ी देख रही थी।
कहीं न कहीं मेरे हिन्दू मन के अहम को ठेस लग रही थी। मेरे ही धर्म की बात ये अंग्रेज मेरे एक हिन्दू भाई को बता रहा है ,माला जपना सिखा रहा है।
थोड़ा मेरे अंदर की अध्यापिका चुप न बैठ सकी और थोड़ा ये भी जताना जरूरी लगा कि हमारे धर्म की बात हमें तो पता होंगी ही, मैं उन दोनों के बीच में कूद पड़ी।

हिंदी में बोल कर समझाया -" माला को अनामिका पर स्थित करो,मध्यमा और अंगूठे की सहायता से एक एक मनके को घुमाओ, तर्जनी को अलग रखो।"

मेरे हिन्दू भाई को समझ आ गया। मुझे तसल्ली मिली,  लगा जैसे कि मैंने ईस्ट इंडिया कंपनी से कोई जंग जीत ली हो। जाते जाते अंग्रेज लड़के ने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और बोला - "थैंक्स सिस्टर !"

'थैंक्स सिस्टर' ये दो शब्द मेरे मन में गूंज कर रह गए। अहम कपूर बन उड़ गया। आख़िरकार वो अंग्रेज 'भाई' मुझे ये फिर से याद दिला गया कि मोहन के सामने अहम माया है । कृष्णा के दरबार में सब बराबर हैं !
Twinkle Tomar

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