Monday, 9 July 2018

मन

मन

पिंजरे में बंद है
पर वनों का ध्यान करती है
उसका मन पिंजरे की सीमा परिधि में नही आता !

मन बावरा है, लोभी है,
साथ काया को ले उड़ता है
उसका तन वास्तविकता की सलाखों टकरा जाता !
Twinkle Tomar

No comments:

Post a Comment

रेत के घर

दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर  माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...