Friday 24 August 2018

प्रेम में आसक्त जोगन



उसकी नीली आंखें
सप्तऋषि तारों के चूर्ण से
बने अलौकिक अंजन से दमकती हैं

उसकी मुस्कान में
रहस्यों की असंख्य सितारा मछलियां
ओष्ठ के इस छोर से उस छोर तक मचलती हैं

उसके अनसुलझे बालों को
किसी केश विन्यास में बंधने का लालच
वन में चुपचाप खिला कोई पुष्प नही दे सका है

प्रेम में आसक्त
माला फेरती एक जोगन से
दिव्य व दीप्त इस सृष्टि की कोई कृति नही है

Twinkle Tomar








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