Thursday 23 August 2018

जब बहु ने पापाजी को राखी बांधी

कैलाश नाथ जी जीवन की संध्या में अपने भरे पूरे परिवार को देखकर खुश थे। इकलौता बेटा अच्छी जगह नौकरी पर था। उसका विवाह भी इस वर्ष कर दिया था। हर त्योहार धूम धाम से मनाते थे। बस रक्षा बंधन का त्योहार ही ऐसा था जो उन्हें पीड़ा देता था। कारण ये था कि उनकी छोटी बहन की बहुत पहले ही मृत्यु हो गयी थी। अपनी बहन से वो बहुत हिले हुये थे।

वो किसी से कुछ कहते तो नही थे। पर उनके अंदर के बालक की यही इच्छा रहती थी काश बहन होती तो उनकी ये कलाई सूनी न रहती। 

उनकी बहु विलक्षणा का ये पहला रक्षाबंधन का त्योहार था। दो दिन पहले ही उसका भाई लिवाने आया था। संयोग से उसकी चचेरी ननद का ससुराल भी उसी के ही शहर में था। तो उसका पति कौस्तुभ भी उसके साथ गया। तय हुआ कि कौस्तुभ वही राखी बंधवा लेगा। विलक्षणा खुशी खुशी अपने मायके चली गयी।

रक्षाबंधन वाले दिन दोपहर में दोनों परिवारों की वाट्सअप पर वीडियो कॉल से बात हुई। प्रणाम और आशीर्वाद का आदान प्रदान हुआ, हाल चाल लिया गया। अचानक बहु विलक्षणा का ध्यान अपने ससुर कैलाश नाथ जी की सूनी कलाई पर गया। उसे ये देखकर बहुत बुरा लगा।

विलक्षणा अपने पति से जिद करने लगी कि तुरंत वापस चलना है। आखिर कार से चंडीगढ़ और दिल्ली की दूरी तय करने में वक़्त ही कितना लगता है। उसने हिसाब लगाया शाम तक तो पहुंच ही जायेंगे। 

घर पहुंचने पर उसकी सास ने दरवाजा खोला। उन्होंने आश्चर्य जताया कि बहु इतनी जल्दी कैसे आ गयी। विलक्षणा ने कहा- बताती हूँ। फिर उसने बिना समय बर्बाद किये हाथ मुंह धोये, पूजा का थाल सजाया। पर्स से राखी निकाल के थाली में रखी और अपने ससुर के कमरे की ओर चल दी। कैलाशनाथ जी पेपर पढ़ने में व्यस्त थे । आहट सुनकर उन्होंने ऊपर देखा तो दंग रह गये। एक तो बहु के जल्दी लौट आने के कारण ,दूसरा उसके हाथ में पूजा का थाल देखकर।
विलक्षणा ने कहा - पापा जी, जल्दी से हाथ आगे करिये। मुहूर्त निकल जायेगा। कैलाश नाथ जी संकोच में पड़ गए । बोले - अरे बेटा, आप तो बहु हो। क्यों परेशान हो रही हो? मुझे इसकी आदत है।"

"पापा जी ,आपको आदत होगी सूनी कलाई रखने की, मगर मुझे अभी आदत नही है रक्षा बंधन के दिन आपकी सूनी कलाई देखने की। न मैं ये आदत डालना चाहती हूँ। "
"लाइये हाथ आगे करिये। रक्षा बंधन का मतलब है- रक्षा का बंधन । और मैं आज आपको इस नये बंधन में बांध रही हूँ," विलक्षणा ने कहा ।
कैलाश नाथ जी की आंखें भर आयी। रुंधे गले से बस इतना बोल सके - "तुम्हारी जैसी बेटियों की तो ईश्वर खुद भाई बन के रक्षा करते है। मैं क्या वचन दूँ तुम्हें भला ।" 
#rakshabandhan
फोटो- साभार गूगल
Twinkle Tomar 

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