Sunday 2 September 2018

राधा बिना कान्हा अधूरा

प्रतिष्ठा देवी अपनी पोती के जन्म से ज्यादा खुश नही थी। उनकी बहू प्रगति एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत थी। दोनों बेटा और बहु एक संतान से अधिक नही चाहते थे, क्योंकि एक ही बच्चे को अच्छी शिक्षा दीक्षा देना बहुत मंहगा और जिम्मेदारी वाला कार्य है।

एक बेटी के जन्म ने पोते के जन्म की आगे की सभी संभावनाओं पर क्रॉस लगा दिया था। खानदान के विस्तार की चिंता प्रतिष्ठा देवी के चेहरे की रेखाओं में स्पष्ट दिखने लगी।

प्रगति का सिजेरियन ऑपेरशन हुआ था इसलिये वो जल्दी घर गृहस्थी के काम संभालने में अभी सक्षम नही थी। प्रतिष्ठा देवी पैर पटकते हुए सारे काम निपटाती और अपने भाग्य का मातम मनाती जाती। पोता होता तो सभी काम खुशी खुशी करती।

धीरे धीरे समय बीत गया। और बच्ची भी थोड़ी बड़ी हो गयी। तभी प्रतिष्ठा देवी के बेटे आधुनिक ने एक नई सोसाइटी में फ्लैट ले लिया और वो सब वहां शिफ़्ट हो गये। इस सोसाइटी में कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम होते रहते थे। हर त्योहार उल्लास के साथ मनाया जाता था।

जन्माष्टमी का त्योहार आ गया था। छोटे लड़कों को कान्हा जी का रूप धरना था और छोटी लड़कियों को राधा जी के रूप में तैयार होना था।

प्रगति बहुत मन से बाज़ार से बेटी के लिये एक खूबसूरत मोर के पंख की डिज़ाइन वाला लहंगा चुन्नी लायी। उसे खूब अच्छे ढंग से तैयार करने लगी।

"हां हां सजा ले बेटी को राधा बना के। पोता होता तो आज के दिन कान्हा के रूप में देख कर छाती में ठंड पड़ जाती।" - प्रतिष्ठा देवी ने ताना देते हुये कहा।


प्रगति ने ध्यान नही दिया। जानती थी उनके अंदर की खीज़ खाई हुई सास बोल रही है। वो अपनी बेटी को चूड़ी, बिंदी, पायल,से सजाती रही।

"हे राम, मेरे घर में भी एक कान्हा जी भेज देते तो क्या चला जाता ? हरे राम हरे कृष्णा" , प्रतिष्ठा देवी ने गहरी सांस लेते हुये चुभते हुये शब्दों में कहा।

प्रगति चुपचाप सुनती जा रही थी, जानती थी पलट कर तर्क देने का कोई फ़ायदा नही है। आज शायद कान्हा जी के नाम का विलाप करते हुये वो खाना भी नही खाएंगी । वो जानती थी ये सब डायलॉग और खाना न खाने का नाटक उस पर दूसरा बच्चा करने के लिये प्रेशर बनाने के लिये किया जा रहा है।

लहंगा चोली पहना कर उसने बच्ची के सर पर पल्लू रखा। अपनी बेटी का राधा रूप देखकर वो खुद ही उस पर मोहित हो गयी। उसने बलैयां ली कि कहीं उसकी सुंदर राधा को उसी की नज़र न लग जाये । झट से काजल की डिबिया ले आयी और कान के पीछे टीका लगा दिया।

बच्ची छम छम करती, इतराती हुई अपनी दादी के पास पहुंची। अभी उसे इतनी समझ ही कहाँ थी कि दादी क्यों रूठी हुई थी?

"दादी, देखो मैं किसी लग रही हूँ?"

उसका सुंदर रूप देखकर प्रतिष्ठा देवी की आंखों में प्यार उमड़ आया। उन्होंने भी अपनी पोती की बलैयां ली ,आखिर वो थी तो उनके ही ज़िगर का टुकड़ा। बस मन में ये भाव आ रहा था -"काश ,तुम मेरी कान्हा होती !"

तब तक आधुनिक भी लौट आया। और सभी लोग नियत समय पर कार्यक्रम में शामिल होने को चल दिये। मंच सजा था, उद्घोषक महोदय ने अपना माइक संभाल रखा था। सब अपने बच्चों को सुंदर सुंदर तैयार करके लाये थे।

उद्घोषक ने घोषणा की सभी अपने बच्चों को मंच पर भेज दें। सजे धजे कान्हा जी और राधा जी ठुमकते हुए मंच पर पहुंच गये। मंच गुलज़ार हो गया था। उद्घोषक महोदय ने कान्हा और राधा का एक एक जोड़ा बना दिया। लेकिन एक समस्या आन खड़ी हुई, कान्हा तो ग्यारह थे,पर राधा सिर्फ दस। तभी म्यूज़िक ऑन कर दिया गया - " ओ राधा तेरी चुनरी ओ राधा तेरा छल्ला ओ राधा तेरी नटखट  नज़रिया....।

छोटे छोटे बच्चे गीत के बोलो पर अपने मन से एक्शन करने लगे। दर्शक उन्हें ठुमकते , गिरते पड़ते डांस करते देखते आनंद से फूले नही समा रहे थे। कोई फ़ोटो खींचने लगा तो कोई वीडियो बनाने लगा। सबको अपना बच्चा ही सबसे प्यारा लग रहा था। रंग बिरंगे वस्त्रों में सजे धजे बच्चों ने वाकई सम्मोहन कर दिया था दर्शकों पर।

बस दस जोड़े तो बहुत प्यारे और पूर्ण लग रहे थे। ग्यारहवां कान्हा जो अकेले ठुमक रहा था, वो थोड़ा नर्वस लग रहा था और बाकी जोड़ों की तरफ देख देख के डांस कर रहा था। बीच बीच में रुक जा रहा था। जब कान्हा और राधा का एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नाचने वाला स्टेप आया तो वो अकेले ही चक्कर लेने लगा। उसको देखकर लोग हंसी से लोट पोट हो जा रहे थे। लोग पेट के बल गिरे जा रहे थे।

मगर प्रतिष्ठा देवी की आंखें उस कान्हा को देखकर जलमग्न हो गयीं। जैसे कान्हा ने अपना मुंह खोलकर यशोदा मां को ब्रह्मांड के दर्शन करा दिये थे, वैसे ही इस छोटे से नटखट कान्हा ने उन्हें आज एक अद्भुत ज्ञान के दर्शन करा दिये। वो उस छोटे से कान्हा में अपना पोता देखने लगी। उन्हें लगा ये अकेला पड़ गया कान्हा उनका पोता भी हो सकता था। अगर सभी सिर्फ कान्हा ही चाहेंगे तो राधा कहाँ से आयेंगी ? ऐसे तो राधा के बिना कान्हा अधूरा रह जायेगा !
©® Twinkle Tomar

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