Friday 9 November 2018

अपनी अपनी बेचैनियां

"क्या तुम्हें याद है मैंने बताया था एक लड़का था मेरे कॉलेज में ....जो मेरी तरफ आकर्षित था।"

" हां बिल्कुल...उम्म..विशाल ... विशाल नाम था न उसका ??"

हां.. वो आज हमारे शहर आ रहा है। उसका मेसेज आया था मेरे इनबॉक्स में। पंद्रह सालों बाद वो मुझसे मिलने चाहता है।"

"ह्म्म्म....."

"क्या मैं उससे मिलने जाऊं?"

"हाँ क्यों नही?  तुमने अपनी सारी जिंदगी मेरे नाम कर दी है। कोई कुछ घंटे के लिये तुम्हें मुझसे अलग भी ले जाये तो क्या फर्क पड़ता है?"

"ओ वाओ...थैंक यू.... तो फिर मैं आज जा रही हूँ उससे मिलने...😘"

श्रीमान जी (अकेले में सोचते हुये ): "अगर मैं मना कर देता तो तुम मुझ पर संकीर्ण मानसिकता वाले पति का टैग लगा देती। सच तो यही है, जितनी देर तुम उसके साथ रहोगी, मेरा मन तुम में उलझा रहेगा, बैचैन रहेगा।....
आह.... मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।"

श्रीमती जी ( अपनी उधेड़बुन में ): " पहले कहते थे मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूँ कि तुम्हारा एक बाल भी किसी के साथ शेयर नही कर सकता।
एक बार तो मना करते काश। क्या पता..अब मुझे लेकर उतने पोजेसिव नही रहे।
आह...लगता है अब वो मुझसे उतना अधिक प्यार नही करते। "

Twinkle Tomar

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