Friday 30 November 2018

चक्की चलती माँ

चक्की के घूमते पाट
धुंधली सी यादों में आते हैं
माँ के मजबूत हाथ
पत्थर के पाटों को चलाते हैं

नवरात्रि की अष्टमी पर
देवी माँ हाथ की चक्की से
पिसे आटे का ही भोग लगाती है
माँ की आस्था मुझे समझाती है

घर भारी पत्थर का पाट है
जिसे माँ बरसों से चला रही है
इस चक्की को माँ नही पीस रही
उल्टे ये चक्की माँ को पीस रही है

©® ट्विंकल तोमर सिंह

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