Wednesday 2 January 2019

पुलिस अंकल , आप मेरी माँ को डांट लगा दो

"आंटी, पुलिस अंकल का घर कहाँ है ?"

उस छोटी सी बच्ची की बात सुनकर सड़क पर जाती महिला चौंक पड़ी। उसे लगा ये छोटी सी बच्ची अपने घर का रास्ता भूल गयी है। उसने तुरंत इस बच्ची को पुलिस स्टेशन पहुंचाया जिससे ये अपने माता पिता तक सही सलामत पहुंच सके।

मगर पुलिस स्टेशन पहुंच कर जो सच्चाई सामने आई उसे सुनकर सब दंग रह गये। बच्ची ने वहां तैनात चौकी प्रभारी से अपनी माँ की शिकायत की। उसकी शिकायत ये थी कि उसकी माँ उसके छोटे भाई का ज़्यादा धयान रखती हैं, उसे ज़्यादा प्यार करती हैं और उसे कम।

ये घटना है सन्त कबीर नगर, उत्तर प्रदेश की। जहां चौकी इन्चार्ज जितेंद्र कुमार यादव थे। उनके पास 17 दिसम्बर 2018 को अपनी मां की शिकायत लेकर पहुंचने वाली इस छोटी सी बच्ची का नाम है फ़लक। और इसकी उम्र है मात्र साढ़े तीन साल।

अपने घर से तीन सौ मीटर दूर स्थित मदरसे में एल के जी मे पढ़ने वाली फ़लक ने चौकी प्रभारी जितेंद्र यादव को बताया कि वो अपनी माँ से बहुत ज्यादा नाराज़ है। कारण ये है कि उसकी माँ उसके छोटे भाई को ज़्यादा प्यार करती है और उसी में लगी रहती है। उसकी एक और शिकायत है कि मां उसे रोज़ स्कूल भी नही भेजती। उसने उनसे विनती की  - " आप चलकर मेरी माँ को डांट लगा दीजिये।"

चौकी प्रभारी इस अजीबोगरीब केस पर हंसे बिना नही रह सके। उन्होंने अपने साथ कुछ ग्रामीणों को लिया और उसे उसके घर पहुंचाने चल दिये। घर पहुंच कर उसने एक और शिकायत की - देखिये मेरी माँ मुझे पुआल पर सुलाती है। अपने पास नही सुलाती।"

चौकी प्रभारी जितेंद यादव ने फ़लक के पिता मकसूद खान जो कि एक मजदूर है और माता आसमां खातून से बात की। दोनों ने बताया कि फ़लक बेटे की ज्यादा देखभाल से गुस्सा रहती है। इसे ये नही समझ आता कि वो अभी छोटा है और उसे ज़्यादा देखभाल की जरूरत है। उसे लगता है कि हम फ़लक को कम प्यार करते हैं। चौकी प्रभारी ने फ़लक को उसके माता पिता को सौंप कर अपने कर्तव्य का पालन किया, उन्हें इसका ध्यान रखने को कहा और इस केस को बंद किया।

तीसरे दिन जब वो दुबारा फ़लक का हाल चाल लेने उसके घर पहुंचे तब भी उस की शिकायतें खत्म नही हुई थीं। उसने अपने भाई की ओर इशारा करते हुये कहा कि देखिये बाबू को स्वेटर पहना रखा है मुझे नही। चौकी प्रभारी का हंसते हंसते बुरा हाल हो गया। उन्होंने उसकी ज़िद पर उसे एक स्वेटर भी खरीद के दिला दिया।

इस केस में साढ़े तीन साल की बच्ची की निडरता पर भले ही हमें आश्चर्य हो और उसकी मासूम शिकायत पर हमें हंसी आ रही हो पर इस बच्ची ने परिवार की एक बड़ी सच्चाई पर सोचने को मजबूर कर दिया है। बच्चों में अपने छोटे भाई बहनों को लेकर ईर्ष्या की भावना पनपती है। ये स्वाभाविक भी है क्योंकि दूसरे बच्चे के जन्म के बाद माता पिता बड़े बच्चे को समय कम दे पाते है पर इस समस्या की ओर उन को विशेष ध्यान देना चाहिये, जिससे कि ये भावना उनके मन में कुंठा का रूप धारण न कर पाये। अगर बच्चा ज्यादा आक्रामक है, तो ये भी संभव है कि वो अपने छोटे भाई या बहन जिससे वो ईर्ष्या करता है, उसे कोई नुकसान पहुंचा दे।

ऐसे में इन बच्चों का विषय ख़्याल रखना चाहिये। उन्हें समझाना चाहिये कि छोटे बच्चे को अधिक देखभाल की जरूरत है, क्योंकि अभी वो बहुत छोटा है। बड़े बच्चे को उसके हर एक काम इन्वॉल्व करें। किसी भी कार्य को करने पर उसकी प्रशंसा करें। उसे पुरुस्कार दें। उसे ये कहीं से भी न लगे कि उसे नेगलेक्ट किया जा रहा है। संभव हो तो उसे अपने पास ही सुलायें या पिता उसे अपने साथ सुलाया करें क्योंकि छोटा बेबी माँ के पास सोता है।

फ़लक जैसे न जाने कितने बच्चे ऐसे होंगे हमारे परिवारों में जिन पर हमने ध्यान न देकर उन्हें अनजाने में अपने भाई या बहन का दुश्मन बना दिया होगा।


©® Twinkle Tomar Singh

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