Monday, 4 February 2019

ग्लूकोमा

#100शब्दोंकीकहानी

अपनी पिचानबे साल की अंधी दादी को लेकर मैं अमेरिका कैसे आता ? छोड़ आया था मैं उन्हें कुम्भ के मेले में प्रयागराज। अच्छा ही सोचा था उनके लिये मैंने। गंगा किनारे मरेंगी तो मोक्ष ही मिलेगा। माता पिता तो पहले ही मर चुके थे।

आज अमेरिका की सड़कों को छड़ी लेकर टटोल रहा हूँ। सूट बूट, रोलेक्स घड़ी, ऐडीडॉस के जूते पहन के घूम रहा हूँ...अकेले।

डॉक्टर्स ने कहा है दस साल से बिगड़ चुके ग्लूकोमा का अब कोई इलाज़ नही।

Twinkle Tomar Singh

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