रंग नही होता
कुछ भी पानी का
फिर क्यों हस्ती
नीली दिखती समन्दर की
रंग प्यार का
नही होता कुछ भी
फिर क्यों चेहरा
गुलाबी हो जाता हीर का
©® Twinkle Tomar Singh
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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