Thursday 20 June 2019

मैं तुम्हारे हाथ के खाने का अफीमची हूँ

ऑन्टी ( जब पहली बार देखा था तब वो ऑन्टी ही थीं) ने पनीर मखनी टेस्ट करते ही बोला-"नॉट बैड"। ऑन्टी का मर्दाना रूआब वाला चेहरा इतना सख्त था कि लगता नही था इनसे तारीफ़ निकलेगी। 'नॉट बैड' कुछ ऐसा डिप्लोमैटिक वक्तव्य था कि लड़की की कुकिंग अच्छी तो नही है,पर हम काम चला लेंगे। कोने में खड़ी अनुभवहीन कुक ने चैन की सांस ली जैसे कि फ़ेल होने के कगार पर थी और जस्ट 33% मार्क्स से पास हो गयी हो।

कुछ घंटे पहले की ही बात है बेटी बहुत नाराज़ हुई थी माँ पर। ऐसी कौन माँ होगी जो अपनी ही बेटी की मदद करने से मना कर दे। पर माँ ने कुकिंग में ये कहते हुये मदद से इनकार कर दिया था-"उन्हें वही टेस्ट करने दो जो वो भविष्य में भी टेस्ट करेंगे।किसी भी इमारत की बुनियाद झूठ पर नही होनी चाहिये फिर चाहे ये कुकिंग का ही मामला क्यों न हो। मैं आज अच्छी अच्छी डिश बना दूँगी रोज रोज तुम्हारे घर तो बनाने नही आऊँगी न? तुम जैसी हो उन्हें वैसे ही तुम्हें अपनाना होगा।"

वो बेटी यानी कि मैं कल की 'अनुभवहीन कुक' सेआज की 'ठीकठाक कुक' बन चुकी हूं और जब भी कुछ कच्चा पक्का पकाती हूँ अपनी माँ को हर बार थैंक्स बोलती हूँ कारण जानते हैं क्या है मेरे पति कहते है-"जानती तो बेगम मैं तुम्हारे हाथों के 'नॉट सो बैड' खाने के टेस्ट का आदी हो चुका हूँ। मुझे तो बस इसी टेस्ट की आदत लग चुकी है। माना कि तुम अपनी माँ जैसा स्वादिष्ट खाना नही बनाती। पर सच बताऊँ तुम्हारी माँ के घर भी जाता हूँ तो ज्यादा स्वादिष्ट खाना मुझे अच्छा नही लगता।"

ये सुनकर मैं बस मुस्कुरा देतीं हूँ। पर हर बार अपनी माँ को धन्यवाद देतीं हूँ। अच्छा ही हुआ उन्होंने मेरे विवाह की नींव किसी झूठ पर नही रखी। उन्होंने मुझे सही राह दिखाई। ऐसा करने की हिम्मत बहुत कम माँओं में होती है मगर।

Twinkle Tomar Singh

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