"जानती हो, मीनारों के अंदर रास्ते घुमावदार क्यों होते हैं? क्योंकि पतली सी पतली मीनार भी सिर्फ़ घुमावदार सीढ़ियों के सहारे अधिकतम ऊँचाइयों तक पहुँच सकती है।"इंजीनियर पति ने इमारत की घुमावदार सीढ़ियों के अंत में छन कर आते हुये आकाश की ओर देख कर कहा।
"जानती हूँ। जीवन में भी कई बार लगता है कितने घुमावदार रास्तों पर हम भटक रहे हैं। जिस दिशा से चलना शुरू करते है वापस उसी दिशा में आ खड़े होते है। लगता है आगे बढ़े ही नही। पर कोई है न ऊपर बैठा जो हमें सीढ़ी दर सीढ़ी ऊपर उठा रहा होता है। पता तभी चलता है जब वो मीनार बन कर तैयार हो चुकी होती है और हम ऊँचाइयों से नीचे देख कर मुस्कुरा रहे होते हैं। "दार्शनिक पत्नी ने मन्द मुस्कान के साथ उत्तर दिया।
इस बिल्डिंग में एक फ्लैट की चाहत उनकी अधूरी रह गयी थी। लोन रिजेक्ट हो चुका था। पर फिर भी दोनों हँस रहे थे क्योंकि उनके सपनों ने सीढ़ियाँ चढ़ना नही छोड़ा था न।
©® Twinkle Tomar Singh
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