Saturday, 14 September 2019

हिन्दी दिवस

लखनऊ के एक हिन्दी माध्यम वाले सरकारी विद्यालय में बी एड प्रशिक्षु आते हैं। बच्चे शिक़ायत करते हैं कि वो छात्र-छात्रा अध्यापक अंग्रेज़ी में पढ़ाते हैं। प्रशिक्षु अध्यापक कहतें हैं-क्या करें हमारी पढ़ाई इंग्लिश मीडियम से हुयी है। हमें हिन्दी माध्यम से गणित/विज्ञान या किसी भी अन्य विषय की शब्दावली का स्वयँ ज्ञान नही है, हम उन्हें क्या पढ़ायें? आश्चर्य की बात ये है कि सरकारी अध्यापक बनना ही उन सबकी प्राथमिकता में है।

महाविद्यालय में एक विषय की कक्षा का पहला दिन है। प्रवक्ता पूछतीं हैं- क्या कोई ऐसा भी है जो हिन्दी माध्यम वाला हो? 70-80 बच्चों वाली कक्षा में एक लड़की हाथ उठाती है। प्रवक्ता कहतीं हैं-पढ़ाई तो अंग्रेज़ी माध्यम से ही होगी। तुम अलग से पढ़ लेना।

नयी पीढ़ी के नौजवान कहते हैं हमें हिन्दी में लिखा कम समझ आता है,और इंग्लिश में लिखी हिन्दी समझ आती है, क्योंकि नेट पर, ऑफ़िशियल पत्र व्यवहार में, मेल में सब जगह दिन भर इंग्लिश पढ़ते रहने के कारण हिन्दी पढ़ने की आदत छूट गयी है। इसीलिये अब हिन्दी भी अगर इंग्लिश में लिखी हो तो ही दिमाग़ तेज़ी से ग्रहण करता है। इस पीढ़ी को हनुमान चालीसा भी इंग्लिश में लिखकर सामने रखनी पड़ती  है। कितना दुःखद है !

चाहे जितना हिन्दी दिवस मना लें, वास्तविकता यही है कि आज से बीस सालों बाद हिन्दी के अल्प ज्ञानी भी परम ज्ञानी माने जायेंगे। गूगल हिन्दी इनपुट ने जितना हिन्दी लिखना आसान कर दिया है, उतना ही ज़्यादा लोगों को भ्रमित भी कर दिया है कि सही शब्द क्या है? एक ही शब्द को कई तरीके से लिखा हुआ दिखाता है। जिसे उच्चारण का सही सही ज्ञान होगा मात्र वही सही वर्तनी वाले शब्द का चुनाव कर पायेगा।

जिस देश की राजभाषा हिन्दी हो, और उसी देश में हिन्दी में सुनने के लिये '2' दबाना पड़ता हो, तो वास्तव में वहाँ हिन्दी दिवस मनाने की अत्यन्त आवश्यकता है!

~ Twinkle Tomar Singh


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