ख़ुद का लिखा पढ़ा है बाख़ुदा सौ दफ़े पढ़ा है
हर एक नुक़्ते पर कोई गुज़रा लम्हा टँगा है!
©® Twinkle Tomar Singh
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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