Saturday 5 October 2019

चादर की सिलवटें

"जानती थी मायके से लौट कर आऊँगी तो पूरा घर बिखरा मिलेगा। कोई चीज़ यथास्थान नहीं मिलेगी। कपड़े सोफे पर हैं, जूठे चाय के कप मेज पर हैं। जूते चप्पल इधर उधर हैं।" रेणुका ने अभी अभी अपने घर में प्रवेश किया था। बीस दिन के लिये वो अपने मायके गयी हुई थी। आज लौटी है। फ्लैट की एक चाभी उसके पर्स में हमेशा रहती है। इसलिये उसे कोई दिक्कत नहीं हुई।

उसके पति अभिषेक शाम तक ड्यूटी से लौट कर  आयेंगे। तब तक उसने सोचा पूरा घर ठीक ठाक कर दूँगी। बैग एक किनारे लगा कर उसने अपने बेडरूम का दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही उसे सामने अपना बिस्तर नज़र आया।

बिस्तर के दायें हिस्से पर अभिषेक लेटते हैं और बायें हिस्से पर रेणुका। ये अघोषित बंटवारा पहले दिन से ही हो गया था। अब चाहे अभिषेक घर पर हों या न हों रेणुका बायें हिस्से पर ही लेटती थी। और अभिषेक की भी अपनी तरफ़ ही लेटने की आदत थी।

थोड़ा पास आने पर रेणुका ठिठक गयी। बिस्तर के दोनों तरफ़ सिलवटें हैं। " ये कैसे हो सकता है? अभिषेक कभी भी इस तरफ नहीं सोयेंगे।"

"फिर....क्या कोई और...."

"नहीं नहीं....ऐसा नहीं हो सकता...शायद उनका कोई दोस्त....या रिश्तेदार...."

" पर रोज़ रो फ़ोन पर बातें होतीं है। हर रात सोने से पहले दिन भर का हाल बताते थे वो फ़ोन पर। फिर ऐसे कैसे कि कोई आये और वो बतायें न..."

"तो क्या....कोई दूसरी..."

"हे राम..." दोनों हाथों से सिर थाम कर रेणुका बिस्तर पर धम्म से बैठ गयी।

बीते समय की कई बातों की तहें खुलने लगीं।

"इतनी रात में कौन तुम्हें वाट्सअप कर रहा है? " रेणुका ने एक रात पूछा था। कई दिनों से अभिषेक फ़ोन पर कुछ ज़्यादा लगे रहते थे विशेषकर व्हाट्सएप पर। फ़ोन लेकर खाना खाने के बाद टहलने निकल जाना....फ़ोन इंगेज़्ड आने पर बताना कि दोस्त से बात कर रहा था।

एक बार रेणुका की सहेली ने बताया था अभिषेक  किसी सुंदर हमउम्र महिला के साथ कॉफ़ी हाउस में बैठे थे। रेणुका ने पूछा तो संक्षिप्त सा उत्तर दिया कि बिज़नेस-मीट थी।

रेणुका कड़ी पर कड़ी जोड़ने लगी। इसका मतलब उसका ये शक़ उसकी ग़लतफ़हमी नहीं है।

अचानक से वो उठी और बिस्तर झाड़कर सिलवटें हटाने लगी। चादर खींच खींच कर उसने सारी सिलवटें हटा दीं। बिस्तर फिर से सही दिखने लगा।

रिश्तों में पड़ी सिलवटों को वो किस प्रकार हटाएगी ये वो सोच रही थी।

बर्दाश्त करे...चुप रहे कुछ न कहे। या फिर चीखे चिल्लाये...लड़ाई,झगड़ा....तलाक़?

या फिर....

उसने फ़ोन निकाला अपने कॉलेज़ के एक पुराने दोस्त का नंबर लगाया। "हेलो रेयांश... कैसे हो? हाँ आज अचानक ही याद गयी तुम्हारी। और क्या चल रहा है?...........!!!"

पति के अंदर जलन की भावना बहुत प्रबल होती है ये वो अच्छी तरह जानती थी।

©® टि्वंकल तोमर सिंह

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