Monday 7 October 2019

दालमोठ की सब्जी

रेणु, सुशीला ऑन्टी आ रहीं हैं आज शाम को। उनको आलू टमाटर की सब्जी और मक्के की रोटी बहुत पसंद है। यही बना लेना आज खाने में।" रेणु की सास उसे निर्देश दे रहीं थीं।

"जी मम्मी जी। " रेणु ने आज्ञाकारी बहू की तरह उत्तर दिया। रेणु बहू तो आज्ञाकारी थी पर उसकी एक आदत बड़ी बुरी थी। वो थी फ़ोन पर बात करने की। हर समय उसके मायके से कोई न कोई फ़ोन करता रहता था कभी मम्मी,कभी पापा, कभी छोटी बहन, कभी भाभी कभी कोई अड़ोसी पड़ोसी। और इन सब से वक़्त बच जाये तो उसकी अपनी सहेलियों से उसकी फ़ोन पर बात होती रहती थी।

सुशीला ऑन्टी के आने से पहले रेणु ने खाना बनाने की तैयारी शुरू कर दी। आलू टमाटर की सब्जी उसके हाथ की बहुत स्वादिष्ट बनती थी। बढ़िया प्याज़ भून कर ढेर सारे टमाटर हरी मिर्च डाल कर उसने बढ़िया सब्जी तैयार कर डाली।

बस एक ही गड़बड़ ही गयी। सब्जी बनाते समय वो कान में इयर प्लग लगा कर फ़ोन पर अपनी मम्मी से बात कर रही थी। किसी महत्वपूर्ण विषय पर उसकी माँ से बात चल रही थी। " अरे हाँ मम्मी, तो भाभी को समझा दो न चाचा जी से ऐसे न बोला करें।" अब आप तो जानते ही हैं औरत जब अपनी माँ से बात करे और वो अपनी भाभी की बुराई भलाई वाली बातें तो उसे अपने आस पास की दुनिया की कोई ख़बर कहाँ रह जाती है। बस यही वो वक़्त था जब गड़बड़ हुई। एक गैस पर वो चाय बना रही थी और दूसरी गैस पर उसने सब्जी चढ़ा रखी थी। उसे ध्यान नहीं रहा और उसने गर्म मसाले की जगह दालमोठ सब्जी में डाल दी। और बेख्याली में उसके हाथ से डिब्बा फिसला और ढेर सारी दालमोठ नीचे खौलती हुयी सब्जी में गिर गयी।

डालने के बाद उसका ध्यान गया कि उसने क्या कर दिया है। "अच्छा मम्मी बाद में बात करती हूँ।" कहकर उसने फ़ोन काटा। और दाँतों से जीभ काट ली। अब क्या करे? सास को बताया तो वो काट डालेंगीं। पहले ही मना कर चुकी हैं वो कि खाना बनाते समय फ़ोन पर बात मत किया करो।

पर और कोई चारा नहीं था। उसने सास को डरते डरते बताया कि क्या गड़बड़ हो चुकी है। पहले तो सास ने सिर पीट लिया। पर अब दूसरी सब्जी बनाने का वक़्त भी नहीं था। तो सास ने कहा- " चलो तुम इसी को डाइनिंग टेबल पर सजाओ। मैं देखती हूँ क्या किया जा सकता है।"

रेणु ने डरते डरते वही सब्जी डोंगे में डालकर डाइनिंग टेबल पर रख दी। डिनर का टाइम हो गया था। सुशीला ऑन्टी हँसते हुये आयीं और कुर्सी पर बैठी। रेणु ने सबको खाना सर्व किया। सुशीला ऑन्टी ने एक कौर मुँह में डाला ही था कि उनके मुँह से निकला-"बहू, सब्जी तूने बनाई है?"

रेणु ने डरते हुए कहा- " हाँजी ऑन्टी।"

सुशीला ऑन्टी ने दूसरे कौर में सब्जी भर भर के ली फिर कहा- "वाह क्या बात है। ये किसकी सब्जी है? इसमें कौन से मसाले डाले हैं बहू?

रेणु को कुछ समझ न आया क्या कहे। तभी बीच में लगाम अपने हाथ में लेते हुये रेणु की सास ने कहा- "सुशीला मेरी बहू बहुत गुणी है। जानती हो ये किस चीज़ की सब्जी है?"

"किस चीज़ की?" सुशीला ऑन्टी चटकारे लेते हुये सब्जी खाती जा रहीं थीं।

"अरे ये दालमोठ की सब्जी है,दालमोठ की सब्जी। तुमने तो कभी नाम भी न सुना होगा। आजकल बहुयें न, बहुत होशियार हैं। वो क्या चला है आजकल...हाँ... यू ट्यूब...उसी से देखकर ये दिनभर नयी नयी डिश बनाया करती है।" रेणु की सास ने बात संभाल ली थी। फिर उन्होंने रेणु की तरफ मुस्कुरा कर देखा, रेणु की जान में जान वापस आ चुकी थी।

" वाह। मिथलेश (रेणु की सास) बहू हो तो ऐसी। दालमोठ की सब्जी तो मैंने कहीं सुनी ही नहीं आज तक। एक मेरी बहू है कोई नयी चीज़ बनाती ही नहीं।" सुशीला ऑन्टी सब्जी भर भर कर खाती जा रही थी। " बहू मुझे रेसिपी बताना ज़रा। मैं भी अपनी बहू से बनवाउंगी।"

" वो ऑन्टी पहले प्याज़ भूना , मसाला डाला ज्यादा से टमाटर डाले.आलू डाल कर पकाया....आखिर में दालमोठ डालकर बंद कर दिया। बस हो गया।" रेणु पूरे मन से एक एक्सपर्ट शेफ की तरह रेसिपी बता रही थी।

तृप्त होकर सुशीला ऑन्टी ने रेणु को आर्शीवाद दिया और अपने घर चली गयीं। रेणु ने अपनी सास के एक नये रूप के दर्शन किये थे। आज से पहले उसे वो ममतामयी सास दिखीं ही नहीं थीं जो एक माँ की तरह उसका साथ दे। रेणु ने सास के पैर छूते हुये कहा- "थैंक्यू मम्मी जी। आपने मेरी इज्जत रख ली। मान गये आपको। बात संभालना कोई आपसे सीखे।"

सास ने उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुये कहा- "अरे चलो। चलो अंत भला सो सब भला।"

पर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। कुछ दिनों बाद सुशीला ऑन्टी की बहू की रेणु के पास फोन आया। " अरे रेणु आखिर कौन सी स्पेशल सब्जी बना के खिला दी थी मेरी सास को, जो रोज़ तुम्हारा नाम रटती हैं। ये दालमोठ की सब्जी क्या बला है? जैसा उन्होंने बताया वैसे कई बार मैंने बनाया पर उनको वो स्वाद नहीं मिल रहा।"

रेणु हँसने लगी- "बहन वो स्वाद आयेगा भी नहीं। इसके लिये तुम्हें भी खाना बनाते समय फ़ोन पर बात करना होना और फिर एक ऐसी सास चाहिये जिसके आशीर्वाद से कोई भी सब्जी टेस्टी हो जाये।"

©® टि्वंकल तोमर सिंह

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