Monday 25 November 2019

एंटीबॉयटिक

जंग और दीमक 
दिमाग़ में भी लगते हैं

छूटा हुआ साथ
छूटी हुई बात
अधरों पर अब भी थमा हुया है जो
कोई अनकहा सा उपालम्भ
ग्रसने लगते हैं आत्मा को

रचना होता है
एक काव्य का संसार
इस मरण से बचने के लिये
दुःख को सृजन का 
आवरण देने के लिये

कविता.....
दुःखद अनुभूतियों से खोखले हुये,
रुग्ण हुये हृदय का एंटीबॉयटिक है !


©® टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

No comments:

Post a Comment

द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...