जंग और दीमक
दिमाग़ में भी लगते हैं
छूटा हुआ साथ
छूटी हुई बात
अधरों पर अब भी थमा हुया है जो
कोई अनकहा सा उपालम्भ
ग्रसने लगते हैं आत्मा को
रचना होता है
एक काव्य का संसार
इस मरण से बचने के लिये
दुःख को सृजन का
आवरण देने के लिये
कविता.....
दुःखद अनुभूतियों से खोखले हुये,
रुग्ण हुये हृदय का एंटीबॉयटिक है !
©® टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
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