पति पत्नी में अगर थोड़ी बहुत नोंक झोंक न हो तो गृहस्थी का मज़ा ही नहीं है। हम पति पत्नी में वैसे तो रोज़ ही किसी न किसी बात पर झिकझिक होती रहती है। पर अक्सर भाषा को लेकर वाद विवाद ज़्यादा होता रहता है। जैसे अगर किसी बात पर मैं नाराज़ हो जाऊँ तो मैं कहती हूँ- 'मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आ रही है।' पति तुरन्त मुझे करेक्ट करते हुये कहते है- मैडम, गुस्सा आती नहीं है, गुस्सा आता है। मैं कहती हूँ मेरे इलाहाबाद में तो ऐसे ही कहा जाता है। वहाँ सबको गुस्सा आती है।
ऐसे ही एक बार का किस्सा है जब प्याज़ महंगाई के चरम पर थी। पति बाज़ार जाते थे सब्जी खरीदने मगर प्याज़ लिये बग़ैर आ जाते थे वापस। एक दिन मैंने ज़ोर देते हुये कहा," अरे सुनते हो, प्याज़ बिल्कुल ख़त्म हो गयी है घर में, बाज़ार जाना तो ले आना।"
पति बोले," बेग़म प्याज़ ख़त्म हो गयी है नही कहते हैं, प्याज़ ख़त्म हो गया है कहते हैं।"
मैंने कहा," अच्छा तो अब सब्जियों का भी जेंडर होने लगा।"
पति बोले," बिल्कुल होता है मोहतरमा। अब देख लो मिर्च का स्वाद कड़वा होता है। जानती हो क्यों? "
"क्यों होता है ?" मैंने पूछा।
" क्योंकि मिर्ची तीखी होती है। और इतनी तीखी इतनी कड़वी क्यों होती है? 'होती है' मतलब स्त्रीलिंग।" शरारत से एक आँख दबा कर पति ने कहा।
" अच्छा जी....समझ गयी मैं। अब तो कोई कंफ्यूज़न ही नहीं रहा कि क्यों प्याज़ का जेंडर मेल (पुरुष) होता है।" मैंने भी शरारत से मुस्कुरा कर ज़वाब दिया।
" क्यों होता है भला?" पति ने उत्सुकता से पूछा।
" वो क्या है कि प्याज़ रुलाता बहुत है न, इसलिए।" मैंने बड़ी अदा से ज़वाब दिया। फिर क्या था पति को कोई ज़वाब सूझा ही नहीं।
टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
No comments:
Post a Comment