प्रतिज्ञायें
दर्पण की तरह है
अंततः टूटना ही
उनकी नियति है
अपनी खंडित छवि को
कितनी देर निहार सकोगे
या फिर
टूटी हुई किरचों को
चुभे बिना बटोर सकोगे?
©® Twinkle Tomar Singh
दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...
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