Tuesday, 11 February 2020

Promise Day

प्रतिज्ञायें 
दर्पण की तरह है
अंततः टूटना ही 
उनकी नियति है

अपनी खंडित छवि को
कितनी देर निहार सकोगे

या फिर
टूटी हुई किरचों को
चुभे बिना बटोर सकोगे?

©® Twinkle Tomar Singh 




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