Saturday 8 February 2020

प्रपोज़ डे



व्यस्त सुबह की जल्दबाज़ी में पी कॉफ़ी जुबान को नहीं मस्तिष्क को संतुष्ट करती है। आज के कामों की लिस्ट में सुबह की कॉफ़ी- टिक ! 

टिफ़िन बनाना, रखना, सब ज़रूरी कॉपी किताब रजिस्टर रखना, चलते समय दुप्पटा न छूट जाये, दूर की नज़र कमज़ोर है, चश्मा पहन लिया न? प्रदूषण बहुत है मुँह पर कपड़ा बांधना है। चलते समय , खाने की बाहर पड़ी चीजें फ्रिज़ में रख देना। अलमारी लॉक कर देना है। चाभी स्कूटर में लगाते समय ध्यान आता है, बहुत गंदा है स्कूटर। अरे छोड़ो होगा, देर हो रही है। 


अधिकारी की बात, बिना बात पर झिड़कियां, सहकर्मियों की श्रेष्ठता सिद्ध करती बातें, वरिष्ठों की प्रभुत्व जताती बातें, स्टूडेंट्स की शिकायतें, कर्मचारियों के कोई भी काम बता देने पर टेढ़े मुँह....एक सफेद कागज़ पर पिन चुभाते जाओ तो वो भी छलनी बन जाता है, ये तो फिर भी दिल है। वो दिल जो पहले से तुम्हारी झुंझलाहट, चिड़चिड़ाहट से खफ़ा है। 

इन सबके बाद भी दिन कहाँ ठहरता है। तमाम शगुन अपशगुन में तैरता हुआ बीतता जाता है। 

मेरे पास इतना वक़्त भी नहीं कि ठहर कर सोचूँ तुम्हारे साथ भी तो यही सब होता होगा। अपने रचे भुलभुलैया सरीखे जंगल में हर कदम पर ख़ुद ही गुम हूँ। कैसे देखूँ तुम अपने जंगल में कैसे लड़ रहे हो?



ऐसे में शाम को तुम्हारा बस पूछ लेना 'कॉफ़ी पियोगी?'  

और मैं आँखों में प्रेम के भाव के लिये सुकून के घूँट के लिये हामी भरती हूँ....

कुछ प्रपोज़ल कितने मीठे होते है! 

Propose Day 

©® टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 



No comments:

Post a Comment

द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...